भारत के वैज्ञानिक भविष्य का आधार बनेगा ‘ANRF’: डॉ. जितेंद्र सिंह

Shivam
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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नया अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन सरकार के सभी विज्ञान मंत्रालयों और विभागों के लिए एक महत्वपूर्ण संगठन है. एएनआरएफ की जरूरत बेहतर सहयोग के लिए निजी कंपनियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समझी गई थी. राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र में सभी विज्ञान मंत्रालयों और विभागों की एक उच्च स्तरीय संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने अलग-अलग विभागों में जो भी रिसर्च हो रही है, उसे देश की जरूरतों, प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी और बाजार की मांग के हिसाब से किए जाने के लिए एक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया.
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि इस बदलाव का मुख्य कारण एक ऐसी साझा रिसर्च योजना बनाना है, जो अवरोधों को समाप्त करें, एक ही तरह का काम बार-बार न हो, और समाज को ऐसे फायदे मिलें जो ठोस और व्यापक हों. उन्होंने कहा, सभी विज्ञान मंत्रालयों को मार्केट-रिलेवेंट और पब्लिक-गुड प्रोडक्ट्स डिलीवर करने के इरादे से काम करना चाहिए। एएनआरएफ सिर्फ समन्वय का काम नहीं करेगा, बल्कि निजी क्षेत्र के निवेश और नए विचारों को बढ़ावा भी देगा.
एएनआरएफ के सीईओ डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन ने एक बोल्ड रोडमैप की रूपरेखा तैयार की, जिसमें फंडिंग मॉडल, निजी क्षेत्र का इंटीग्रेशन और एआई-लेड वैज्ञानिक गति को शामिल किया गया है. एजेंसी आर्थिक विकास और सामाजिक प्रभाव को केंद्र में रख अपने काम को एनएसएफ और डीएआरपीए जैसी वैश्विक रूप से सफल संस्थाओं की तरह बना रही है और क्रॉस-मिनिस्ट्रियल मिशन शुरू कर रही है. एएनआरएफ विश्व के बेहतरीन उदारहणों से प्रेरित होकर एक स्मॉल बिजनेस डीप टेक इनोवेशन प्रोग्राम शुरू करने के लिए तैयार है. इस प्रोग्राम का उद्देश्य रियल-वर्ल्ड एप्लीकेशन के लिए टेक्नोलॉजी के बेहतर इस्तेमाल में स्टार्टअप और एमएसएमई को सपोर्ट करना है.
एएनआरएफ नेशनल रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए क्लाउड ऑफ रिसर्च एंड इनोवेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को भी रोलआउट करेगा, जिसकी मदद से डीप-टेक स्टार्टअप और संस्थान देश भर में कम इस्तेमाल किए जाने वाले इक्विप्मेंट तक अपनी पहुंच बना सकेंगे. फाउंडेशन की एआई फॉर साइंस पहल एक मुख्य आकर्षण है, जो फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में साइंटिफिक इक्वेश्चन को मॉडल करने के लिए एआई का इस्तेमाल करती है. मंत्री जितेंद्र सिंह ने महंगे विदेशी पायलट प्रशिक्षण पर भारत की निर्भरता को कम करने की परियोजना की क्षमता को उजागर किया और बेंगलुरु से आगे उत्पादन बढ़ाने के लिए निजी एयरलाइंस और एयरोस्पेस कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स को शामिल करने का सुझाव दिया.
–आईएएनएस
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