Bhojshala ASI Survey: एमपी के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला का एएसआई सर्वे शुरू हो गया है. आज तड़के सुबह साढ़े छह बजे के आसपास एसआई की टीम भोजशाला पहुंची. यहां पर एएसआई टीम के पांच सदस्य पहुंचे हैं. इस कार्रवाई के मद्देनजर यहां भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया है. इंदौर हाई कोर्ट के आदेश के बाद यह सर्वे आज से किया जा रहा है. हाईकोर्ट के निर्देश के बाद विवादास्पद भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण आज से शुरु हो गया है.
भारी पुलिस बल तैनात
आपको बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण के अपर निदेशक ने इंदौर डिविशनल कमिश्नर, धार जिले के कलेक्टर, एसपी को पत्र लिखा है, जिसमें सर्वे की बात कही गई है. धार के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने एएसआई का यह पत्र मिलने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि भोजशाला परिसर में एएसआई के शुक्रवार अलसुबह से प्रस्तावित सर्वेक्षण के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. भारी बल की सुरक्षा में आज एएसआई टीम के पांच सदस्य भोजशाला का क्षेत्र में दाखिल हुए हैं.
#WATCH मध्य प्रदेश: हाई कोर्ट के आदेश के बाद धार में ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम भोजशाला का सर्वे करने पहुंची। pic.twitter.com/2mVLo0VtdO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 22, 2024
ज्ञानवापी के बाद भोजशाला की बारी!
दरअसल, मध्य प्रदेश के धार जिले के भोजशाला का ज्ञानवापी की तरह सर्वे किया जा रहा है. जानकारी हो कि कोर्ट के आदेश के बाद भोजशाला मामले को लोग ज्ञानवापी मस्जिद की तरह देख रहे हैं. यूपी की वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में हुए ASI के सर्वे के बाद हिंदू पक्ष को वहां पूजा का अधिकार मिल गया है. दोनों ही मामलों में काफी समानताएं हैं. सर्वे के बाद ये तय हो पाएगा कि आखिर भोजशाला पर किसका अधिकार होता है.
6 सप्ताह में रिपोर्टस सौंपनी है
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर हाई कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए दो न्यायाधीशों की बेंच ने एएसआई के 5 सदस्यों की एक कमेटी गठित कर दो पीटीशनरो की मौजूदगी में पूरे मामले पर सर्वे कर बंद लिफाफे में रिपोर्ट 6 सप्ताह के अंदर पेश किए जाने की बात कही गई है, जिसमें यह तय किया जाएगा की भोजशाला पर आखिर अधिकार किसका है.
जानिए क्या है विवाद
धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला परिसर को हिन्दू संगठन वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानते हैं, हिंदुओं का मानना है कि राजवंश के शासनकाल के दौरान कुछ समय के लिए मुसलमानों को भोजशाला में नमाज की अनुमति मिली थी. जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला की मस्जिद बताते हैं. हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने 11 मार्च को सुनाए आदेश में कहा था, ‘‘ इस अदालत ने केवल एक निष्कर्ष निकाला है कि भोजशाला मंदिर-सह-कमाल मौला मस्जिद परिसर का जल्द से जल्द वैज्ञानिक सर्वेक्षण और अध्ययन कराना एएसआई का संवैधानिक और कानूनी दायित्व है.” हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद अब सर्वे होगा, जिसके बाद स्थिति साफ हो जाएगी.
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