Assam CM Himanta Biswa Sarma: असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने आज कई घोषणाए की. उन्होंने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि असम में आने वाले कुछ समय में समान नागरिक संहिता लागू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जैसे यूसीसी उत्तराखंड और गुजरात में लाने की बात कही जा रही है, वैसा ही कानून हम असम में भी लागू करेंगे.
राज्य में लागू होगा यूसीसी
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि असम की समान नागरिक संहिता में कुछ ज्यादा नियम होंगे, साथ ही हम उन राज्यों के यूसीसी बिलों के हिसाब से भी राज्य में समान नागरिक संहिता लाएंगे. उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि वो उत्तराखंड के यूसीसी बिल का इंतजार कर रहे हैं. सीएम बिस्वा ने कहा कि असम में आदिवासी समुदाय को यूसीसी के दायरे से छूट दी जाएगी.
‘मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता’ की होगी शुरुआत
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि हम राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए एक नई योजना ‘मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता’ शुरू करेंगे. इस वर्ष स्व-सहायता समूहों से जुड़ी 7 लाख महिलाओं की वार्षिक आय 1 लाख रुपये हो गयी है. इस योजना के तहत पहले साल में सरकार 10,000 रुपये की शुरुआती राशि देगी. दूसरे वर्ष में, राज्य सरकार 12,500 रुपये देगी और बैंक लाभार्थियों को 12,500 रुपये की ऋण राशि देगा. बैंक ऋण लाभार्थी को चुकाना होगा. महिला लाभार्थियों के लिए कुछ मानदंड हैं- सामान्य और ओबीसी श्रेणियों की महिलाओं के 3 से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए. मोरन, मटक, चाय समुदाय और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की महिला लाभार्थियों के अधिकतम केवल 4 बच्चे होने चाहिए.
Assam CM Himanta Biswa Sarma says, "We will start a new scheme 'Mukhyamantri Mahila Udyamita' for women self-help groups in rural areas in the state. This year the annual income of 7 lakh women engaged with self-help groups has gone up to Rs 1 lakh. Under this scheme, in the… pic.twitter.com/G7rj0gLkXf
— ANI (@ANI) January 11, 2024
क्या देश में भी लागू होगा यूसीसी?
दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता बिल को लेकर चर्चा तेज है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दावा किया था कि समान नागरिक संहिता के महत्व और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए विधि आयोग इससे जुड़े समस्त पहलुओं का अध्ययन कर रहा है.
मेघवाल ने अपने पत्र में यूसीसी को लेकर भी सरकार के रूख को साफ किया था. उन्होंने अपने पत्र में बताया था कि यूसीसी के संबंध में यह ध्यान दिया जा सकता है कि विषय वस्तु के महत्व और इसमें शामिल संवेदनशीलता को देखते हुए, विभिन्न समुदायों को नियंत्रित करने वाले विभिन्न निजी कानूनों के प्रावधानों के गहन अध्ययन की जरूरत है.
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