किसी व्यक्ति को दिया जानेवाला पुरस्कार उसके कार्य का होता है सम्मान: डॉ दिनेश शर्मा

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Lucknow News: उर्दू अकादमी गोमती नगर स्थित सभागार में राष्ट्रीय जागरूक ब्राह्मण महासंघ द्वारा आयोजित प्रतिभा अलंकरण समारोह में बोलते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सांसद डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि किसी व्यक्ति के काम करने के बाद उसे जो सम्मान दिया जाता है उसमें महत्वपूर्ण यह नही कि कागज का टुकड़ा मिला है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि उसके द्वारा किये गए अच्छे कार्य को सम्मान दिया गया है और जो आगे और बेहतर काम करने की प्रेरणा देता है.

उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने तो कहा था कि सच्ची इबादत राष्ट्र के लिए काम करना है. उनका मानना था कि व्यक्ति स्वयं योग्य बने और अगली पीढ़ी को योग्य बनाने के लिए काम करे. उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का निश्चय किया था. वे साइकिल पर अखबार बेंचते थे पर सपना वैज्ञानिक बनने का देखते थे.

उन्होंने कहा है कि एक बार असफल होने पर अपने जीवन को समाप्त करने तक पर विचार इसलिये आया था कि उनके पास आगे अध्ययन करने के लिए पैसे नही थे. वे उत्तराखण्ड गए तथा वहां पहाड़ से कूदने का विचार कर रहे थे कि एक स्वामी जी ने उनके कंधे पर हाथ रखा और वे उन्हें अपने आश्रम ले गए. उन्होंने उनसे कहा कि यह सही है कि मैं सनातनी हूं और तुम इस्लाम को माननेवाले हो. पर आगे की पढ़ाई में आपका जो भी खर्च आएगा उसे मैं दूंगा पर एक चीज याद रखना कि मन को कभी कमजोर नही करना है. मन पर विजय प्राप्त करने के लिए आपकों दृढ़निश्चयी बनना होगा और ऊंचे सपने देखने होंगे. इसके बाद कलाम साहब की विचारधारा ही बदल गई. उन्होंने कहा कि वे केवल वैज्ञानिक ही नही बनेंगे बल्कि अंतरिक्ष के रहस्यों को खोजेंगे और मिसाइल बनाएंगे और एक छोटे से अखबार को बेचनेवाला व्यक्ति विवेकानन्द के आदर्शों का अनुपालन करते हुए उच्चतम ऊंचाई तक पहुंच गया.

सांसद शर्मा ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि यदि इंग्लैण्ड के बारे में जानना है तो उसका पता वहां के स्टाक एक्सचेंज से लगेगा किंतु इसके विपरीत कलाम साहब कहते थे कि यदि भारत को जानना है तो विवेकानन्द के जीवन का इतिहास पढ़ लो. विवेकानन्द के जीवन का जो परिचय है वही असली भारत है. वास्तव में यह मिसाइल मैन बच्चों के लिए एक उदाहरण बन गया. उनका कहना था कि सपने ऊंचे देखो तथा जब तक वे पूरे न हो जांय आपको चैन की नींद नही आनी चाहिए. अगर ऊंचे उठना है तो इसी प्रकार का प्रयास करना चाहिए. बहुत से लोगों की सोच लड़कियों को पढ़ाकर शादी करने तक ही सीमित होती है. आज लड़के लड़कियों से कम नही हैं. जब मैं उपमुख्यमंत्री था तथा मेरे पास शिक्षा विभाग था तो विभिन्न विश्वविद्यालयों में मैने पाया कि लड़कियां 70 प्रतिशत आगे हैं तो लड़के तीस प्रतिशत आगे हैं. इसका यह मतलब नही है कि लड़के आगे नही जा सकते. संकल्प से कोई भी व्यक्ति आगे बढ़ सकता है. लड़कियों को खूब रामचरित मानस या अन्य धार्मिक ग्रन्थ पढाएं और मुस्लिम लड़कियों को भले ही कुरान की अच्छाइयों को बताएं किंतु लड़कियों को घर के अन्दर कैद रखना उचित नही है. अच्छी शिक्षा पाकर लड़कियां तीन पीढ़ी तक परिवार को आगे बढ़ाती हैं. यदि बच्चियां शिक्षित हैं तो अपने बच्चों का शिक्षा और संस्कार बहुत अच्छे तरीके से देती हैं. आज फाइटर प्लेन चलानेवाली, सेना में मेजर जनरल बननेवाली भी लड़कियां हैं.

डा. शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तो महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था ही नही की बल्कि उन्हें आगे लाने के लिए तथा महिला सशक्तीकरण के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं में उन्हें महत्व दिया क्योंकि वे चाहते हैं कि पुरूष महिला को आत्मनिर्भर देखे. लोगो के द्वारा अफवाहे फैलाने का सबसे मजबूत विकल्प शिक्षा है. तलवार से कई गुना ताकत कलम में होती है. यदि आपके पास शिक्षा है तो आप बड़े बड़े अधिकार प्राप्त कर लेंगे. बच्चे के भविष्य को बनाने के लिए घर की व्यवस्था को सुधारना होगा. यदि घर में कलह का माहैाल है तो उस घर का बच्चा भी आगे नही बढ़ पाएगा और उसी वातावरण मे रंग जाएगा. भारत सबकों साथ लेकर चल सकता है और यही सबका साथ सबका विकास का मूल भाव है.

उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों से कहा कि वे लड़कियों को पढ़ाएं. लैपटाप का सही उपयोग शिक्षित होने पर लड़कियां कर सकती है. आज तो वर्क फ्राम होम चल रहा है. डिजिटलाइजेशन के इस युग में घर बैठे आमदनी बढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा कि एक सलाह वे सबको देते हैं कि बच्चे की इच्छा को कभी दबाने का प्रयास नही किया जाना चाहिए। शिक्षा वह उपहार है जो आप अपने बच्चों को दे सकते हैं इस उपहार को उनसे छीनने का प्रयास नही किया जाना चाहिए.

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