Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर में अब राम जन्मभूमि आंदोलन के इतिहास को दिखाने की तैयारी की जा रही है. ऐसे में अब रामलला के दर्शन करने आने वाले भक्तों को राम जन्मभूमि आंदोलन के इतिहास देखने को मिलेगा. दरअसल, श्रद्धालुओं के ज्ञानवर्धन के मकसद से राम जन्मभूमि आंदोलन के इतिहास को बताने वाली पीतल की प्लेटों को यहां स्थापित किया गया है.
वहीं, हाल ही में रामनवमी के मौके पर अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के माथ पर सूर्य तिलक चमक उठा. रामलला का यह सूर्य तिलक दोपहर के समय हुआ. इस दौरान रामलला का माथा दिव्य तिलक से जगमगा उठा. इसके साथ ही इस दिन चौधरी चरण सिंह घाट पर सरयू नदी के तट पर 2.5 लाख से अधिक मिट्टी के दीये जलाए गए.
30 अप्रैल तक आ जाएंगी सभी मूर्तियां
इसी बीच श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर परिसर का निर्माण अप्रैल के महीने तक पूरा होगा. मंदिर के बाहर या अंदर स्थित सभी मूर्तियां 30 अप्रैल तक यहां आ जाएंगी और लगभग सभी मूर्तियां 25 मार्च से 15 अप्रैल के बीच स्थापित कर दी जाएंगी..
दीवारों पर की गई देवी-देवताओं की जटिल नक्काशी
बता दें कि साल 2024 में श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है. इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट है; चौड़ाई 250 फीट है और ऊंचाई 161 फीट है; और यह कुल 392 खंभों और 44 दरवाजों द्वारा समर्थित है. वहीं, इस मंदिर के खंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की जटिल नक्काशी की गई है. भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बाल रूप (श्री रामलला की मूर्ति) को स्थापित किया गया है.
51 इंच लंबी है रामलला की मूर्ति
वहीं, मंदिर में स्थापित की गई ‘राम लला’ की मूर्ति कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है, जिसकी लंबाई 51 इंच लंबी और वजन 1.5 टन है. इस मूर्ति में भगवान राम को पांच साल के बच्चे के रूप में कमल पर खड़े दिखाया गया है, जिसे भी इसी पत्थर से बनाया गया है.
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