Bharat Express 2nd Anniversary: भारत एक्सप्रेस की दूसरी वर्षगांठ का जश्न, CMD उपेन्द्र राय का प्रेरक संबोधन

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Bharat Express News: भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क की लॉन्चिंग को आज दो वर्ष पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर नोएडा स्थित भारत एक्सप्रेस के कार्यालय में दूसरी वर्षगांठ मनाई गई. भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन, CMD और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने भारत एक्सप्रेस के परिवार को संबोधित किया.
CMD उपेन्द्र राय ने सभी कर्मचारियों को ‘भारत एक्सप्रेस’ की दूसरी वर्षगांठ पर बधाइयां दीं. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “आज हम सब ‘भारत एक्सप्रेस’ की दूसरी सालगिरह मना रहे हैं. इसके लिए टीम के हर सदस्य को मैं दिल की गहराइयों से धन्यवाद देता हूं. जो लोग अपनी-अपनी जिम्मेदारियों पर अच्छा और बढ़िया काम कर रहे हैं, वे आगे अपने जीवन में भी अच्छे परिणाम पाएंगे.”

CMD उपेन्द्र राय ने कहा- “जीवन में सफलता पाने के लिए आपको हर दिन खुद को अपग्रेड करना होता है. अगर आप हर दिन खुद को अपग्रेड नहीं करेंगे, तो बहुत सारे लोग आपसे आगे निकल जाएंगे और आप बहुत पीछे रह जाएंगे. खबरों की दुनिया में यह आपाधापी और दौड़ इस कारण होती है कि हर कोई पहले खबर प्रस्तुत करना चाहता है. हालांकि, खबर प्रस्तुत करना जितना महत्वपूर्ण नहीं है, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हम खबर को जिम्मेदारी के साथ प्रस्तुत करें.”
CMD उपेन्द्र राय ने कहा, “हम एक व्यवस्था और नियमों के तहत न्‍यूज चैनल चलाते हैं, और हमें इसका पूरा पालन करना चाहिए. हमें जो खबरें दिखानी हैं, उनका उद्देश्य यह होना चाहिए कि समाज, देश और मानवता का भला हो. हम किसी भी काम में किसी का नुकसान नहीं करते, और यही हमारी जिम्मेदारी है. हमसे यह उम्मीद की जाती है कि हम समाज का भला करने के लिए काम करें.”
उन्होंने कहा, “अगर हम रोज एक कदम आगे बढ़ते हैं, तो यह हमारे ज्ञान और उपलब्धियों के क्षेत्र में प्रगति करता है. कुल मिलाकर यह टीम का काम है. कोई भी संगठन टीम की वजह से बड़ा होता है.”

“हमारे भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क में कई साथी दो साल से काम कर रहे हैं, और यह एक बहुत अच्छी बात है. यह दिखाता है कि संगठन में लॉयल्टी और स्थिरता का कितना महत्व है.”
“मैंने अपने जीवन में कई सालों तक एक ही संस्थान के साथ काम किया है, जैसे- सहारा समूह से 19 साल जुड़ा रहा. अगर आप जीवन में किसी एक संस्थान के साथ टिककर काम करते हैं, तो आपके व्यक्तित्व का सही मूल्यांकन होता है.”
मीडिया इंडस्ट्री में बार-बार नौकरी बदलते रहने वाले पत्रकारों के लिए उन्होंने कहा, “मुझे लगता है जो लोग एक साल में नौकरी बदलते रहते हैं, वे कभी बड़े आदमी नहीं बन सकते. किसी एक जगह पर टिककर काम करने से ही आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं. अगर आप जीवन में बड़ा बनना चाहते हैं, तो कम से कम 10 साल एक ही संस्थान में काम करें. जो व्यक्ति ईमानदारी से किसी संस्थान में 10 साल काम करता है, वह 10 गुना ऊंचाई पर पहुंचता है.”
उन्होंने यह भी कहा, “अगर आप अपने साथ न्याय नहीं करते, तो आप कैसे उम्मीद करते हैं कि दूसरा आपके साथ न्याय करेगा? सबसे पहले आपको स्वयं के साथ अच्छे निर्णय लेने होंगे, तभी दूसरे लोग भी आपके साथ न्याय करेंगे.”
CMD उपेन्द्र राय ने एक उदाहरण देते हुए कहा- “अगर आप जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि गाड़ी, सड़क और मंजिल का क्या महत्व है. गाड़ी और सड़क साधन हैं, और मंजिल लक्ष्य है. अगर आप इन दोनों में उलझे रह जाएंगे, तो मंजिल तक नहीं पहुंच पाएंगे.”
उन्होंने कहा, “आपको हमेशा यह ध्यान रखना होगा कि मंजिल ही आपका मुख्य उद्देश्य है, और साधन इसे प्राप्त करने का रास्ता हैं. जब सही मार्ग, सही गति और सही दिशा होती है, तो आप अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं.”
“मैं हमेशा एक बात कहता हूं कि बेहतरी के लिए कोई फाइल चलाने की, या कोई अप्रूवल की जरूरत नहीं होती. मुझे पता है कि अगर कोई बेहतर और अच्छा काम करेंगे और सही में आपके काम को सुपरवाइज करने वाला आदमी अगर ऑनेस्ट है. और आप अच्छा काम किए हैं तो मुझे नहीं लगता कि अच्छा काम करने के लिए कोई डांटे कि यार इसका अप्रूवल क्यों नहीं लिया.
अप्रूवल उस काम के लिए जरूरत होता है, जिसमें थोड़ा बहुत रिस्क भी होता है, लेकिन अच्छे काम में मैं मानता हूं कि रिस्क होता भी है, नहीं भी होता है. लेकिन अच्छे काम का रिस्क इनबिल्ट होता है, उसको ले लेना चाहिए. उसके लिए बहुत विचार नहीं करना चाहिए.”
CMD उपेन्द्र राय ने ग्रंथों से भी 2 प्रसंगों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा, “विज्ञान तंत्र भैरव आपने देखा होगा, उसमें 112 सूत्र हैं. पार्वतीजी, उसमें शिवजी से हमेशा ये पूछती हैं कि मोक्ष को कैसे प्राप्त किया जाए. 112 सूत्र में अलग-अलग शब्दों में उन्होंने यही एक सवाल पूछा है, तो भगवान शिव उनको समझाते हैं कि सांस लेने और छोड़ने के बीच जो अंतराल है. उसमें ठहर जाओ, तुम्हें मोक्ष मिल जाएगा.”
अर्थात, सांस लेने और छोड़ने के बीच में एक पल ऐसा होता है जिसमें मौत घटती है और वही पल जब बहुत बड़ा हो जाता है तो आदमी पूरा मर जाता है. हमें यह समझने की जरूरत है कि जीवन में रिस्क तो हमेशा रहेगा.
“जिस समय भगवान श्री कृष्ण संदीपनी मुनि से शिक्षा ले रहे थे तो उन्होंने श्री कृष्ण से कहा था कि धर्म, अर्थ, काम की शिक्षा तो मैंने दे दी, लेकिन अब मैं मृत्यु की कला सिखाऊंगा. तो उन्होंने पूछा कि गुरु जी मोक्ष तो सुना था. मृत्यु की शिक्षा क्‍यों, तब संदीपनी मुनि ने कहा- मृत्यु ही मोक्ष है. मोक्ष आदमी को मरने के बाद ही प्राप्त होता है. जीते जी तो संसार ही रहता है, इसलिए मैं तुमको मृत्यु की कला सिखाता हूं.”

उन्होंने अंत में कहा- हमारे जीवन-दर्शन में धर्म, अर्थ, काम के अलावा मोक्ष की भी बहुत अहमियत है, लेकिन ये चारों एक-एक सीढ़ियां हैं. आप सोचो कि बच्चा पहले दिन पैदा हो जाए, उसे मोक्ष का ज्ञान दें तो बेवकूफी होगी. एक उम्र तक भी उसको मोक्ष की जरूरत नहीं है. इसलिए बहुत सिस्टमैटिक, बहुत वैज्ञानिक तरीके से पूरे जीवन को, पूरे इको-सिस्टम को बनाया गया है.
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