Gopaldas Neeraj Jayanti: भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क के CMD उपेन्द्र राय ने पद्मभूषण गोपाल दास नीरज को दी श्रद्धांजलि, उनसे मुलाकात की आखिरी यादें की साझा

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Gopaldas Neeraj Jayanti: पद्मभूषण से सम्मानित कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज की जयंती के अवसर पर आज (4 जनवरी) को आगरा में ‘निरंतर नीरज’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क के चेयरमैन उपेन्द्र राय शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने गोपाल दास नीरज को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके साथ हुई एक आखिरी मुलाकात के बारे में बताया. भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क के CMD उपेन्द्र राय बोले कि उनके आखिरी दिनों की बात है…मैं नोएडा कैंपस में बैठा हुआ था. मुझे बताया गया कि बाबूजी आए हैं और वो कह रहे हैं मुझे उसके पास जाना है. मैंने देखा कि वे व्हीलचेयर पर थे. वे आए मिले और हमारे साथ बैठे. वो मेरी आखिरी मुलाकात थी नीरज साहब से, लेकिन उनके साथ बातचीत का जो सिलसिला है वो लंबा रहा है, बहुत गहरा रहा है.

Bharat Express Upendra Rai

 

उपेंद्र राय बोले— “जिस दिन वो आए थे तो मैंने उनसे कहा कि मैं 20वीं सदी की सबसे मेधावी शख्सियत आचार्य रजनीश को मानता हूं. जब मैं आठ साल का था..तो कुछ लोग आचार्य से मिलकर आए थे. उसके बाद जब मैं 9-10 साल का हुआ तो आचार्य रजनीश की एक किताब मुझे मिली- ‘शिक्षा में क्रांति’. मैंने उसे पढ़ा. पढ़ने के बाद मुझे लगा कि इस व्यक्ति से सुंदर तो कोई हो ही नहीं सकता.”

 

 

इस दौरान उपेंद्र राय बोले, “मैंने आचार्य रजनीश को कहीं सुना..आचार्य रजनीश एक बार गोपालदास नीरज की कई रचनाओं का जिक्र कर रहे थे. मैंने उनसे पूछा कि आप मुझे ये बताओ कि गोपालदास नीरज और आचार्य रजनीश की दोस्ती का आधार क्या था?” नीरज साहब बोले, “मेरी उनसे दोस्ती 70 के दशक में हो गई थी. मैं एक बार पुणे मिलने गया था आचार्य रजनीश से. कई लोग ये कहते थे कि वो एक लाख किताबें पढ़ चुके हैं…डेढ़ लाख किताबें पढ़ चुके हैं. तो मैंने आचार्य रजनीश से पूछा कि आप कितनी किताबें पढ़ गए हो? तो उन्होंने बोला कि लगभग पूरी-पूरी दो लाख और आधी अधूरी एक लाख. यानी लगभग तीन लाख किताबें वो पढ़ चुके थे.”

मैंने पूछा कि इतना तेज कैसे पढ़ते हैं? फिर वह बोले कि “आप टेस्ट ले लीजिए मेरा कि कैसे पढ़ता हूं?” सामने कई किताबें रखी थीं. उनमें सबसे मोटी किताब निकाली और उनको दी. पहला पन्ना पलटा..बीच से कुछ पन्ने देखे और आखिरी पन्ने देखे. किताब उन्होंने मुझे पकड़ा दी और बोले कि “मुझे कहीं से पूछो..मैं आपको अगला पैरा पढ़कर बताऊंगा.” तब मैंने 20 जगह से पूछा..तो आचार्य ने उसका अगला पैरा लाइन बाई लाइन पढ़कर सुना दिया.”

 

4 जनवरी 1925 को जन्मे थे गोपालदास नीरज

पद्मभूषण से सम्मानित कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को हुआ था. उन्हें गीतों के राजकुमार भी कहा जाता है. गोपाल दास नीरज के स्वर्ण जयंती पर आगरा के सिकंदरा में स्थित डॉक्टर एमपीएस वर्ल्ड स्कूल में भव्य कार्यक्रम ‘निरंतर नीरज’ का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क के चेयरमैन उपेन्द्र राय ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. उन्होंने गीतों के राजकुमार पद्मभूषण गोपाल दास नीरज को श्रद्धांजलि दी.

गीत के ही समान रही  गोपाल दास की यात्रा

बता दें, हिन्दी साहित्य के पुरोधा गोपाल दास नीरज की जयंती पर महाकवि गोपालदास नीरज फाउंडेशन ट्रस्ट और इबादत फाउंडेशन की ओर से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में देशभर के कई दिग्गज कवि और गायक शामिल हुए. कार्यक्रम में गोपालदास नीरज की कविताओं और जीवनी और उनसे जुड़ी स्मृतियों को साझा किया गया. कहा जाता है कि नीरज जब अपने गीत सुनाते थे, तो लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे. उनकी जीवन यात्रा भी एक गीत के ही समान रही, जिसमें उन्होंने कई उतार चढ़ाव देखे. साहित्य के जानकारों का कहना है कि कवि सम्मेलनों की अपार लोकप्रियता उन्हें मायानगरी मुंबई तक ले गई और नीरज ने फिल्मों के लिए भी कई बेहतरीन गीत लिखे हैं.

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