वुमेंस मेंटल हेल्थ समिट में शामिल हुए भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय, बोले- “जिस संस्कृति में औरतों का योगदान नहीं, वहां परमाणु युद्ध होकर रहेंगे”

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

WMHSA 2024: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर 8 मार्च, 2024 को भारत डायलॉग्स वुमेंस मेंटल हेल्थ समिट एंड अवार्ड्स (WMHSA) 2024 के आयोजन किया गया. जिसमें भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी उपेन्द्र राय भी शामिल हुए. सीएमडी उपेन्द्र राय ने भारत डायलॉग्स वुमेंस मेंटल हेल्थ समिट को संबोधित किया. चेयरमैन उपेन्द्र राय ने अपने संबोधन के दौरान शिव और सती की कहानी का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि जब राजा दक्ष ने प्रजापति दक्ष ने अपनी ही बेटी का इतना अपमान किया कि सती हवन कुंड में छलांग दी थी, जिससे उनकी मृ्त्यु हो गई थी. जिसके बाद भगवान शंकर को इतना क्रोध आया कि सती के मृत शरीर को लेकर वह गुमनाम घूमते रहे हालांकि सती के इस मौत का बदला भी उन्होंने लिया.

इसके साथ ही सीएमडी उपेन्द्र राय ने आगे बताया कि हमारा जो सनातन धर्म है और दुनिया में जितने भी धर्म है, उन सबमें यहूदियों का धर्म सबसे प्रगतिशील है. वहीं आगे बताया कि कहीं भी ईश्वर की कल्पना अगर की गई तो सिर्फ पुरुष के रूप में की गई, लेकिन इकलौता सनातन धर्म है जहां ईश्वर की कल्पना अर्धनारीश्वर के रूप में है. ईश्वर आधा पुरुष है और आधा स्त्री है. यहां तक कि बाइबिल में भी यह कहा गया कि जब आदम को बनाया गॉड ने तो वह बड़ा मायूस सा घूमने लगा और गुमसुम सा रहने लगा तो उसकी पसली से तोड़ के ईश्वर ने स्त्री की रचना की यानी स्त्री बनाई गई.

सिमोन द बोउआर की किताब का किया जिक्र

सीएमडी उपेन्द्र राय ने आगे अपने संबोधन में सिमोन द बोउआर की लिखी किताब सेकेंड सेक्स का जिक्र किया. जिसमें उन्होंने कहा कि उस किताब ने पूरी दुनिया में तहलका मचाया….तो जब सेकंड सेक्स आई तो पूरी दुनिया में तहलका मचा और सिमोन का एक वाक्य कि स्त्री पैदा नहीं होती उसे बना दिया जाता है. इसका मतलब लोगों को समझ नहीं आया कि सिमोन कहना क्या चाहते हैं. सिमोन ने उस किताब में बहुत एलेबोरेट करके लिखा कि जब पुरुष और स्त्री पैदा होते हैं तो दोनों प्राणी के रूप में ही पैदा होते हैं, लेकिन स्त्रियों ड्यूटी पहले से फिक्स्ड है. पुरुष की वैसी फिक्स ड्यूटी नहीं है. जैसे पति शब्द है पति का मतलब होता है मालिक, राष्ट्रपति देश का मालिक, सेनापति सेना का मालिक.

पत्नी का शाब्दिक अर्थ होता है दासी. अगर डिक्शनरी में आप खोल के देखिए तो पत्नी की जो स्त्री की पहली ड्यूटी है वह बेटी के रूप में पैदा हुई. उसके बाद बड़ी हुई तो वह किसी की पत्नी बन गई. दासी बन गई. कुछ और बन गई. उसके पहले से रोल डिसाइडेड हैं.

सीएमडी उपेन्द्र राय ने आगे कहा कि पिछले दिनों एक खबर आई थी कि फ्रांस दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जहां पर महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार दे दिया गया है. उसी फ्रांस में गर्भपात पर 17वीं शताब्दी में 18वीं शताब्दी में 19वीं शताब्दी में मृत्यु दंड की सजा थी. 20वीं शताब्दी में जाकर उस सजा को ढीला किया गया, लेकिन उसी फ्रांस की औरतों ने यह बताया कि ये शरीर हमारा है उस पर हमारा हक है और हमें उसके साथ क्या करना है उसका पहला अधिकार पहला दायित्व हमारा है.

“जिस संस्कृति में औरतों का योगदान नहीं, वहां परमाणु युद्ध होंगे”

चेयरमैन उपेन्द्र राय ने इसी कड़ी में आगे कहा कि “मैं बहुत गहरे में मानता हूं कि इस सभ्यता के विकास में औरतों का योगदान बहुत कम लिया गया और जिस व्यवस्था में जिस संस्कृति में औरतों के योगदान को कम लिया जाएगा और पुरुषों के द्वारा रची हुई दुनिया बनाई जाएगी. वहां पर परमाण युद्ध होकर रहेंगे. वहां पर महाभारत होकर रहेगा. क्यों, क्योंकि जहां पर औरतों को फ्री हैंड दे दिया जाए काम करने के लिए, मैं मानता हूं कि वहां सामंजस्य अपने आप बहुत गहरा बैठ जाता है. जहां पुरुषों को आगे कर दिया जाए वहां पर विद्वेष और ईर्ष्या और लड़ने के तमाम तरीके पहले से तैयार हो जाते हैं. वह भी एक व्यवस्था समानातंर चलती रहती है.

जैसा कि कहा जाता है कि एक युद्ध का काल होता है और एक युद्ध के शांति का काल होता है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया बहुत अच्छी बात कहा करते थे, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने द्रौपदी पर नौ वैल्यूम में एक किताब लिखी है और वैसी अद्भुत किताब औरतों के बारे में मैंने अभी तक अपने जीवन में नहीं पढ़ी है. सबको पढ़ना चाहिए. डॉक्टर राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि भारत विकास कैसे करेगा. जहां की आधी से ज्यादा आबादी गुलाम है. वह पुरुषों के मन के मुताबिक के बिना कदम भर भी नहीं चल सकती. उन्होंने तो यहां तक कहा कि मेरे मित्र बिड़ला जी की पत्नी भी गुलाम हैं.

वह भी बिड़ला जी की मर्जी के खिलाफ कोई निर्णय नहीं ले सकती. उन्होंने कहा कि जो गरीब आबादी है वो तो है ही, अमीरों की औरतें भी गुलाम हैं. वह भी अपने पतियों के बिना एक कदम नहीं चल सकती. उस पर उन्होंने बिड़ला जी का नाम लिया था. अपने भाषणों में और उस संकलन में भी है जो किताब मैं बता रहा हूं वहां पर है इसका जिक्र, तो अगर हमारी आधी आबादी पैरालाइज रहेगी, अधिकार हीन रहेगी, शक्तिहीन रहेगी… तो उन्हीं के कोख से जन्म लेकर हम सबल कैसे हो सकते हैं.

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