Reporter
The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय आज गाजीपुर के मुहम्मदाबाद पहुंचे, जहां उन्होंने अष्ट शहीद इंटर कॉलेज को 50 लाख रुपये की धनराशि भेंट की. दान में मिली इस धनराशि से कॉलेज परिसर में एक भव्य और हाईटेक लाइब्रेरी का निर्माण कराया जाएगा. ये लाइब्रेरी सीएमडी उपेन्द्र राय की स्वर्गीय माता राधिका देवी जी के नाम पर होगी, जिसका शिलान्यास आज CMD उपेन्द्र राय ने किया.
इस दौरान सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, मां सरस्वती का बहुत आशीर्वाद है मुझपर, क्योंकि ऐसा इसलिए मानता हूं क्योंकि मैं किसी भी विषय पर घंटों बोल सकता हूं, लेकिन आज मुझे बोलने में बड़ी दुविधा हो रही है, क्या बोलूं, और मेरे अंतर्मन से आवाज आ रही है कि मैं कुछ भी न बोलूं, लेकिन बोलना भी चाहिए, तो बहुत संक्षेप बोलना चाहिए.
सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, क्योंकि कुछ भी करने के बाद अगर कर्ता का भाव रखा जाता है तो करने का अपमान हो जाता है. ऐसे में मलूकदास का एक दोहा याद आ रहा है- माला जपों न कर जपों, जिभ्या कहूँ न राम। सुमिरन मेरा हरि करे, मैं पाया बिसराम. मलूकदास जी कहते हैं कि किसी चीज को याद करने के 4 तल हैं, पहला तल है कि जब हम जीह्वा से नाम लेते हैं. दूसरा तल है- मुंह बंद हो जाता है, जीह्वा ऊपर उठ जाती है, लेकिन स्मरण चलता रहता है. तीसरा तल है- जब जुबान रुक जाती है, स्मरण रुक जाता है, लेकिन भाव पैदा हो जाता है. जीभ मरण धर्मा शरीर है, जीभ भी उसी का हिस्सा है, ऐसे में जीभ से लिया गया नाम भी मरण धर्मा ही होगा. उसकी आयु बड़ी लंबी नहीं हो सकती है, और तीसरे तल के ऊपर जो है वो, मलूकदास जी कहते हैं- मेरा सुमिरण हरि करे, मैं पाया विश्राम. अब मैंने सुमिरण करना भी बंद कर दिया है. मैं हरि में ही लीन हो गया. यानी कि आत्मा परमात्मा में लीन हो गई है. मरण धर्मा से ऊपर अमरण धर्मा हो गई. जो आत्मा कभी मरती नहीं है.
उन्होंने इस दौरान जिस स्कूल से उन्होंने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी, उसका जिक्र भी किया. उन्होंने बताया कि सीताराम बाबू साहब अष्ट शहीदों के बाद जिंदा शहीद थे हमारे गांव के, क्योंकि उनको आठ गोलियां लगी थीं. सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा कि उस दौरान जब गांव में यज्ञ कराया गया तो सीताराम बाबू साहब ने ज्ञान यज्ञ शुरू किया. और उस ज्ञानयज्ञ का सबसे छोटा सिपाही 1994 में मैं था. तब आठवीं कक्षा पास करके 9वीं क्लास में इसी कॉलेज में पढ़ने आया था.
सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, उस समय सीताराम बाबू साहब ने इतना मोटिवेट किया था, कि गीता के 712 श्लोक याद थे, जिसमें से आज भी 128 श्लोक याद हैं. जिसमें ज्ञान यज्ञ पर भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि-
ज्ञानयज्ञेन चाप्यन्ये यजन्तो मामुपासते ।
एकत्वेन पृथक्त्वेन बहुधा विश्वतोमुखम्
श्रीकृष्ण कहते हैं कि मेरे भक्त मेरे भिन्न-भिन्न रूपों को विभिन्न नामों से जानते हैं, लेकिन जो व्यक्ति मेरे ज्ञानस्वरूप को जानता है, वहीं व्यक्ति मेरे सबसे करीब आ पाता है और उसी से मेरी मुलाकात होती है. जब ऋषि सांदीपनि के यहां भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा हो रही थी, तब सांदीपनि गुरु ने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम से कहा, जब मैं तुम दोनों को देखता हूं तो मां सरस्वती कहती हैं कि मैं अपना सारा ज्ञान का खजाना तुम दोनों पर उड़ेल दूं. मुझे पता नहीं तुम दोनों कौन हो, लेकिन मुझे लगता है कि तुम दोनों मेरे जीवन के किसी पुण्य का फल हो. इसलिए इस विद्या के मंदिर में ही असली इंसान तैयार होते हैं. इंसानियत और नागरिकता की पाठशाला हम अपने परिवार से पढ़ कर आते हैं और फिर विद्या मंदिर में आते, फिर उसके बाद बाहर की दुनिया में आते हैं. फिर असली परीक्षा हमारी वहां होती है. इसलिए जब तक जीवन है, तब तक परीक्षाएं हैं, और जब तक परीक्षाएं हैं, तब तक संघर्ष है. संघर्ष शून्य जीवन मृत समान है. इसलिए मुझे लगता है कि संघर्ष का वरण करने वाला ही वीर होता है. जो संघर्ष खो देता है वह मर जाता है.
सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा कि विद्यालय के दक्षिणी द्वार का शिलान्यास हुआ, जिसका सौभाग्य इस विद्यार्थी को मिला. मैं चाहूंगा कि इस विद्यालय से ऐसे तमाम विद्यार्थी निकलें, जिन्हें ऐसे ही सौभाग्य मिले. पिछली बार जब अगस्त में आया था, तो मैंने कहा था कि जनवरी में मैं आऊंगा, लेकिन कुछ कारणों के चलते नहीं आ पाया, फिर बोर्ड की परीक्षा और कॉपियों का मूल्यांकन शुरू हो गया. अब मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, बस जो चेक लेकर आया हूं, वह विद्यालय के प्राचार्य जी को सौंपूगा. इसके साथ ही एक और इच्छा व्यक्त करूंगा कि निराला विद्या मंदिर के बारे में मैंने कहा था कि आठवीं क्लास तक वहां मेरी शिक्षा हुई. यहं पर बैठे सभी लोग और शेरपुर के 100 लोग जिस दिन भरोसा लेकर कह देंगे, मैं उस स्कूल को 1 करोड़ रुपये डोनेट करूंगा.