42 साल पहले भी हुआ था भयानक रेल हादसा, नदी में डूबी ट्रेन में 300 लोगों की हुई थी दर्दनाक मौत

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Biggest Rail Accident: बुधवार देर रात एक बड़ा रेला हादसा बिहार के बक्सर जिले में हुआ. दरअसल, आनंद विहार कामाख्या नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस ट्रेन हादसे का शिकार हो गई. ये ट्रेन आनंद विहार से कामाख्या जा रही थी. बताया जा रहा है कि जिस दौरान ये हादसा हुआ ट्रेन अपने पूरे गति में थी. ये हादसा बक्सर में रघुनाथपुर स्टेशन के पास हुआ है. इस हादसे में कुल 4 लोगों के मरने की पुष्टी हुई है. वहीं, 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की जानकारी सामने आई है. इस ट्रेन की 21 बोगियां डिरेल हुई थीं.

बिहार में इस ट्रेन हादसे के बाद लोगों के जहन में एक भयानक रेल हादसे की तस्वीर उभर कर सामने आई है. आपको बता दें कि बिहार में 42 साल पहले भी एक भयानक रेल हादसा हुआ था. उस रेल हादसे को अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा माना जाता है. इस हादसे में 300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाईं थी. ये सरकारी आंकड़े हैं. हालांकि स्थानीय लोगों का कहना था कि ये आंकड़ा 1000 से ज्यादा रहा. इस हादसे को याद भर करने मात्र से ही दिल दहल जाता है.

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42 साल पहले का वो भयानक रेल हादसा
6 जून 1981 को हुआ भयानक हादसा शायद ही कोई भूल सकता है. पैसेंजर ट्रेन खगड़िया जिले के मानसी से चलकर सहरसा के लिए रवाना हुई थी. इस दौरान खगड़िया और सहरसा के बीच संपर्क का सबसे बड़ा साधन ट्रेन ही होती थी. ट्रेन को बदला, धमारा, कोपड़िया, सिमरी बख्तियारपुर के रास्ते सहरसा पहुंचना था. चूकी बरसात का दिन था, ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी थी. जो यात्री भी उस ट्रेन में सवार था वो अपनी मस्ती में चूर था. किसी को बाजार जाना था, किसी को परिवार से मिलने जाता था. पैसेंजर ट्रेन में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि जितने लोग सीट पर बैठे थे उसके दोगुना कोच में खड़े थे.

ट्रेन मानसी से खुलने के बाद बदला घाट पर रुकी वहां से धमारा के लिए रवाना हुई. इस दौरान जैसे ही ट्रेन ही चली जोरदार बारिश शुरू हो गई. बारिश के कारण लोगों ने बोगियों की खिड़कियां बंद करनी शुरू कर दी. ट्रेन जैसे ही बागमती नदी पर बने पुल को पार कर रही थी, अचानक लोकोपायलट ने ब्रेक लगाया और ट्रेन की नौ में से सात बोगियां फिसलकर पुल को तोड़ते हुए उफनाई बागमती नदी में गिर गई.

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300 लोगों की हुई थी मौत
जब ट्रेन नदी में समा गई उस दौरान जिनको तैरना आता था कुछ तो बच गए, लेकिन सभी का भाग्य ठीक नहीं था. सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस हादसे में कुल 300 लोगों के मरने की पुष्टी हुई थी. हालांकि स्थानीय लोगों का कहना था कि कम से कम 15 सौ से 2 हजार लोगों की जान गई. बताया जाता है कि हादसे के अगले एक हफ्ते बाद तक शवों को नदी से निकालने का काम किया गया.

कई परिवारों उजड़े
इस हादसे ने केवल कई लोगों की जान ली, बल्कि कई परिवारों को उजाड़ कर रख दिया. बताया जाता है कि सिमरी बख्तियारपुर के एक परिवार के 11 लोगों की मौत हो गई. दरअसल, सिमरी बख्तियारपुर के मियांचक निवासी अशरफ का परिवार एक शादी से वापस लौट रहा था, इस दौरान बख्तियार पुर रेलवे स्टेशन पर उनके परिवार के लोग अशरफ का इंतजार कर रहे थे. घर पहुंचने से पहले ही अशरफ अपने परिवार के साथ काल के गाल में समा गए. ऐसे ही उनका पूरा 11 सदस्य परिवार समाप्त हो गया.

आज तक नहीं पता लगा हादसे का कारण
मानसी सहरसा रेलखंड पर ये हादसा 42 साल पहले हुआ था. सबसे बड़ी बात ये है कि आज तक इस हादसे की मुख्य वजह सामने नहीं आ सकी है. ये हादसा किस वजह से हुआ इस बात की पुष्टी नहीं हो सकी. बताया जाता है कि पुल पर अचानक कोई भैंस आ गई थी, जिसे बचाने के लिए लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया. इस वजह से जोरदार झटका लगा और ट्रेन नदी में समा गई.

जानकारों का ये भी कहना है कि जिस दौरान ये हादसा हुआ था उस वक्त जोरदार बारिश हो रही थी. लोगों ने सभी बोगियों की खिड़कियों को बंद कर लिया था, जिस वजह से तूफानी हवा क्रॉस करने के सभी विकल्प बंद हो गए थे. हवा के दबाव के कारण ट्रेन पलट गई.

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