फसल अवशेष प्रबंधन पर केंद्र सरकार ने खर्च किए 3623 करोड़ रुपये, इस राज्‍य को मिला सबसे ज्यादा फंड

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

हरियाणा को 1,081.71 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश को 763.67 करोड़ रुपये, और दिल्ली को 6.05 करोड़ रुपये मिले. इसके अलावा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को 83.35 करोड़ रुपये दिए गए. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2018 में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए एक योजना शुरू की थी. इसका उद्देश्य फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद को बढ़ावा देना और सीएचसी स्थापित करना था. 2023 में इस योजना के दिशा-निर्देशों में बदलाव किए गए. अब इस योजना के तहत मशीनरी और उपकरणों के लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है.

केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और प्रमुख एजेंसियों के साथ मिलकर फसल अवशेष जलाने की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक कार्य योजना बनाई है. इसमें पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और दिल्ली सहित ISRO, ICAR और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) जैसे संगठन शामिल हैं. सरकार ने खेतों में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जरूरी मशीनरी उपलब्ध कराई है. PUSA-44 जैसी लंबी अवधि वाली धान की किस्मों की जगह अब कम समय में तैयार होने वाली नई किस्मों को बढ़ावा दिया जा रहा है. धान की कटाई के बाद पुआल को खेत में ही काटकर बिखेरने के लिए सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है.

इसके अलावा, IARI द्वारा विकसित बायो-डिकम्पोजर के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. यह पुआल को खाद में बदलने में मदद करता है. सरकार ने फसल अवशेषों के वैकल्पिक उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पैलेट और टॉरिफेक्शन प्लांट्स की स्थापना के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इन प्लांट्स में धान के पुआल को मूल्यवान उत्पादों में बदला जा सकता है. सरकार ने पैलेट प्लांट के लिए 1.4 करोड़ रुपये और टॉरिफेक्शन प्लांट के लिए 2.8 करोड़ रुपये तक की सहायता देने की घोषणा की है. अब तक 17 प्लांट्स की स्थापना के लिए आवेदन मंजूर किए गए हैं. इनमें से 15 प्लांट्स हर साल 2.70 लाख टन पुआल का प्रसंस्करण करेंगे.

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