Chaudhary Charan Singh: 1937 में बने पहली बार विधायक, किसानो के थे मसीहा, जानिए चौधरी चरण सिंह का भारत रत्न मिलने तक का पूरा सफर

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Chaudhary Charan Singh: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा. सिंह के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी शीर्ष सम्मान से सम्मानित किया जाएगा.

किसान परिवार से था नाता

1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर क्षेत्र में जन्मे चरण सिंह एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार से थे. उन्होंने 1923 में विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री पूरी की. उन्होंने कानून की पढ़ाई की और गाजियाबाद में प्रैक्टिस की, लेकिन 1929 में वे मेरठ चले गए और कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए.

उनका चुनावी सफर

वह पहली बार 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए और 1946, 1952, 1962 और 1967 में निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया. बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने. अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था। उन्होंने 1967 में कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और एक संयुक्त विधायक दल गठबंधन के नेता के रूप में उभरे.

1970 में उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से मुख्यमंत्री चुना गया.1979 में, जब भाजपा की पूर्ववर्ती जनसंघ ने मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले लिया, तो कांग्रेस (आई) ने सिंह को समर्थन देने का फैसला किया. उन्होंने 28 जुलाई, 1979 को प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली. लेकिन इससे पहले कि वह लोकसभा में अपना बहुमत साबित कर पाते, इंदिरा गांधी ने उनकी सरकार से अपनी पार्टी का समर्थन वापस ले लिया, जिसके कारण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा. चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत के प्रधान मंत्री रहे

भ्रष्टाचार के खिलाफ थे

राजनीतिक वैज्ञानिकों का कहना है कि सिंह ने विभिन्न पदों पर उत्तर प्रदेश की सेवा की और एक सख्त कार्यकारी अधिकारी के रूप में ख्याति हासिल की, जो “प्रशासन में अक्षमता, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार” को बर्दाश्त नहीं करेंगे. वे कहते हैं, वह एक प्रतिभाशाली सांसद और व्यावहारिक व्यक्ति थे, जो अपनी वाक्पटुता और दृढ़ विश्वास के साहस के लिए जाने जाते थे.

भूमि सुधार के लिए किया काम

वह उत्तर प्रदेश में भूमि सुधारों के मुख्य वास्तुकार थे और उन्होंने मोचन विभाग विधेयक 1939 को तैयार करने और अंतिम रूप देने में अग्रणी भूमिका निभाई, जिससे ग्रामीण देनदारों को बड़ी राहत मिली. यह उनकी पहल का ही नतीजा था कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों को मिलने वाले वेतन और अन्य विशेषाधिकारों में भारी कमी कर दी गई.सिंह की ताकत मूल रूप से लाखों किसानों के बीच उनके विश्वास से उपजी थी.

किताबो को लिखने का था शौक 

वह कई पुस्तकों और पुस्तिकाओं के लेखक थे, जिनमें अबोलिशन ऑफ़ जमींदारी , को -ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रेड , भारत की गरीबी और उसका समाधान , किसानों के स्वामित्व या श्रमिकों के लिए भूमि और प्रिवेंशन ऑफ़ डिवीज़न ऑफ़ होल्डिंग बिलो ए सर्टेन मिनिमम  शामिल हैं.

ये भी पढ़े:  Chocolate Day 2024: ब्रेन के लिए बेहद फायदेमंद है चॉकलेट, डोपामाइन के साथ प्रोड्यूस करता है Happy Hormones

More Articles Like This

Exit mobile version