Chhath 2023: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूरा हुआ छठ महापर्व, घाटों पर दिखी अद्भुत छटा

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Chhath Puja 2023: देश भर में आज छठ महापर्व के आखिरी दिन उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया. देश भर में छठ की छटा देखने को मिली है. आज व्रतियों ने छठी मैया की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और इसके बाद व्रत का पारण किया. इस व्रत को करने वालों ने कुल 36 घंटों का निर्जला उपवास रखा और छठ पूजा के संपन्न होने के बाद व्रत को खोला. देश भर से इस त्योहार की तमाम तस्वीरें सामने आईं हैं.

जानकारी दें कि ये महापर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है. अब इस त्योहार का विस्तार देश के अन्य राज्यों में भी हो गया है. बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ अन्य राज्यों में व्रतियों ने छठ की उपासना की. इस दौरान घाटों पर भारी भीड़ देखने को मिली.

करीब लाखों की संख्या में व्रती महिलाओं ने जगह-जगह घाटों पर अपनी आस्था की उपस्थिति दर्ज करवाई. आज छठ महापर्व का चौथा और आखिरी दिन था. नहाय खाय के साथ 17 नवंबर को छठ पर्व आरंभ हो गया था, छठ पर्व का दूसरा दिन यानी खरना 18 नवंबर को हुआ था. 19 नवंबर की शाम को व्रतियों ने अर्घ्य दिया और सूर्य देव की उपासना की. आज तड़के सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प पूरा किया गया.

गौरतलब है कि बिहार में गंगा, गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा, सोन और अन्य प्रमुख नदियों के किनारे छठ घाटों पर बड़ी संख्या में श्रृद्धालु एकत्रित हुए. पड़ोसी देश नेपाल के लोगों ने भी पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिलों में छठ पूजा की. राजधानी पटना में, छठ घाट श्रृद्धालुओं से भरे रहे. पटना जिला प्रशासन ने 100 से अधिक छठ घाट तैयार किये थे.

क्या है छठ की मान्यता
मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, छठी मैया बच्चों को बीमारियों और समस्याओं से बचाती हैं और उन्हें लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती हैं. देवी प्रकृति के छठे रूप और भगवान सूर्य की बहन छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में पूजा जाता है. यह दीपावली या तिहार के छह दिन बाद, हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत में कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) के चंद्र महीने के छठे दिन मनाया जाता है.

ये त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (व्रत) से परहेज करना, पानी में खड़ा होना और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) चढ़ाना और डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देना शामिल है. कुछ भक्त नदी तट की ओर जाते समय साष्टांग मार्च भी करते हैं.

पर्यावरण-अनुकूल है ये त्योहार
पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ का त्योहार दुनिया के सबसे पर्यावरण-अनुकूल धार्मिक त्योहारों में से एक है. सभी भक्त समान प्रसाद (धार्मिक भोजन) और प्रसाद तैयार करते हैं. यह त्यौहार नेपाल और भारतीय राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में सबसे अधिक मनाया जाता है.

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