Chhath 2023: आस्था के महापर्व छठ की रौनक, अस्ताचलगामी सूर्य को दिया गया अर्घ्य

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Chhath Puja 2023: चार दिनों तक चलने वाले लोकास्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन था. इसके पहले नहाय खाय के साथ 17 नवंबर को छठ पर्व आरंभ हो गया था, छठ पर्व का दूसरा दिन यानी खरना 18 नवंबर को हुआ था. आज शाम ढलते सूर्य को व्रतियों ने अर्घ्य दिया और सूर्य देव की उपासना की. कल सुबह यानी 20 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प पूरा होगा.

छठ की छटा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के साथ देश के विभिन्न राज्यों में देखने को मिली है. ग्रामीण से लेकर शहरी इलाकों तक छठ की मनमोहक छटा देखने लायक थी. देश के विभिन्न राज्यों से ढलते सूर्य को अर्घ्य देने की तमाम तस्वीरें सामने आई हैं.

आपको बता दें कि छठ महापर्व को मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. हालांकि अब इसका विस्तार देश के विभिन्न राज्यों तक हो गया है. जानकारी हो कि छठ पर्व को कई नामों से जाना जाता है. लोक आस्था के इस महापर्व को डाला छठ, सूर्य षष्ठी और छठ पूजा के नाम से जाना जाता है.

यह भी पढ़ें- Chhath puja 2023: छठ पूजा में क्यों देते हैं ढलते सूर्य को अर्घ्य, जानिए इसके पीछे की खास वजह

छठ के त्योहार मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा और उपासना का त्योहार है. इस पर्व का व्रत रखने वाला व्यक्ति 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखता है. वहीं, व्रत के दौरान वो अपनी संतान की लंबी आयु और अरोग्यता के लिए छठी माता से आशीर्वाद प्राप्त करता है.

क्या है मान्यता
मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, छठी मैया बच्चों को बीमारियों और समस्याओं से बचाती हैं और उन्हें लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती हैं. देवी प्रकृति के छठे रूप और भगवान सूर्य की बहन छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में पूजा जाता है. यह दीपावली या तिहार के छह दिन बाद, हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत में कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) के चंद्र महीने के छठे दिन मनाया जाता है.

ये त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (व्रत) से परहेज करना, पानी में खड़ा होना और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) चढ़ाना और डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देना शामिल है. कुछ भक्त नदी तट की ओर जाते समय साष्टांग मार्च भी करते हैं.

पर्यावरण-अनुकूल है ये त्योहार
पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ का त्योहार दुनिया के सबसे पर्यावरण-अनुकूल धार्मिक त्योहारों में से एक है. सभी भक्त समान प्रसाद (धार्मिक भोजन) और प्रसाद तैयार करते हैं. यह त्यौहार नेपाल और भारतीय राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में सबसे अधिक मनाया जाता है.

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