चीन के चाल का पर्दाफाश, लद्दाख में पैंगोंग झील के पास बना रहा नई कॉलोनी

Raginee Rai
Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Raginee Rai
Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Ladakh: चीन अपनी विस्‍तारवाद नीति से बाज नहीं आ रहा है. जहां एक ओर भारत डिप्‍लोमैटिक तरीके से बॉर्डर पर बढ़ते तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है, तो वहीं चीन सीमा के नजदीक तेजी से निर्माण कार्य में लगा है. हाल ही चीन के चाल का पर्दाफाश सैटेलाइट तस्‍वीरों से हुआ है. तस्‍वीरों में साफ दिख रहा है कि चीन पैंगोंग झील के उत्‍तरी तट के पास बड़े पैमाने पर एक बस्ती का निर्माण कर रहा है. इस नई कॉलोनी में एक से दो मंजिला इमारते बनाई जा रही हैं.

पैंगोंग झील के पास नई बस्ती

इंडिया टुडे मिली हालिया सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट के नजदीक एक बड़ी चीनी बस्ती का निर्माण चल रहा है. यह बस्ती भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 2020 के गतिरोध बिंदुओं में से एक से करीब 38 किलोमीटर पूर्व में मौजूद है, हालांकि यह भारत के क्षेत्रीय दावों से बाहर आता है. दुनिया की सबसे ऊंची खारे पानी की झील पैंगोंग त्सो भारत, चीन प्रशासित तिब्बत और उनके बीच विवादित बॉर्डर पर फैली हुई है.

17 हेक्टेयर के क्षेत्र में चल रहा निर्माण कार्य

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कंपनी मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा 9 अक्टूबर को कैप्चर की गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि करीब 17 हेक्टेयर क्षेत्र में तेजी से निर्माण कार्य हो रहा है. 4,347 मीटर की ऊंचाई पर येमागौ रोड के नजदीक स्थित यह स्थल निर्माण और मिट्टी हटाने वाली मशीनरी से भरा हुआ है. तक्षशिला संस्थान में जियो पॉलिटिकल रिसर्च प्रोग्राम के प्रोफेसर और प्रमुख वाई निथ्यानंदम के मुताबिक, आवासीय संरचनाओं और बड़ी प्रशासनिक इमारतों समेत 100 से अधिक इमारतों का निर्माण किया जा रहा है. खुली जगहें और समतल भूमि पार्कों या खेल सुविधाओं के लिए संभावित भविष्य के इस्‍तेमाल का सुझाव देती हैं.

हेलीपैड का भी किया गया निर्माण

उन्होंने दक्षिण-पूर्व कोने में 150 मीटर लंबी आयताकार पट्टी की ओर इशारा करके अनुमान लगाते हुए कहा कि इसे हेलीकॉप्टर संचालन के लिए तैयार किया जा सकता है. ओपन-सोर्स सैटेलाइट इमेजरी के एनालिसिस से संकेत मिलता है कि झील की ओर ढलान वाली नदी के किनारे अप्रैल 2024 की शुरुआत काम शुरू हुआ था. सैन्य सूत्रों के मुताबिक, यह बस्ती संभवतः प्रशासनिक और परिचालन क्षेत्रों के बीच अंतर करते हुए दो भागों में विभाजित लगती है.

एक से दो मंजिला इमारतें बनाई जा रहीं

संरचनाओं के छाया विश्लेषण से पता चलता है कि इस बस्ती में एक और दो मंजिला इमारतों का मिश्रण है, पास में छोटी झोपड़ियां हैं, जिनमें से प्रत्येक में 6 से 8 लोग रह सकते हैं. दो बड़ी संरचनाएं प्रशासन और भंडारण सुविधाओं के तौर पर काम कर सकती हैं. सीधी रेखाओं के बजाय अर्धचंद्राकार रेखाओं में डिज़ाइन किया गया लेआउट, लंबी दूरी के हमलों के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के इरादे का सुझाव देता है.

ऊंची चोटियों के पीछे बस्ती बना रहा चीन

ऊंची चोटियों के पीछे कॉलोनी का स्थान इसके रणनीतिक लाभ को और बढ़ाता है, जिससे आस-पास के इलाकों से दृश्यता सीमित हो जाती है. निथ्यानंदम ने आगे कहा कि आस-पास की ऊंची चोटियां भूमि-आधारित निगरानी उपकरणों से साइट को अस्पष्ट करती हैं. सैन्य सूत्रों का अनुमान है कि अगर सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है, तो कॉलोनी ‘एड-हॉक फॉरवर्ड बेस’ के तौर पर काम कर सकती है, जिससे चीनी सेना के लिए प्रतिक्रिया समय कम हो सकता है.

ये भी पढ़ें :– Human Lifespans: इस सदी में इंसानों के लाइफस्पैन में नहीं होगा इजाफा, नई स्टडी में खुलासा

 

 

Latest News

सच्चे इंसान के रूप में जो आपको परिवर्तित करें वही है धर्म: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, धर्म वह नहीं है जो आपको बेहोश करे, धर्म...

More Articles Like This