योगी सरकार ने स्थाई रूप दिव्यांग होमगार्डों के परिवारों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए एक बार फिर अपने फैसलों से यह साबित किया है कि वह जनसरोकार से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता देती है. हाल ही में सरकार ने स्थायी रूप से दिव्यांग होमगार्ड्स के आश्रितों की नियुक्ति पर लगी रोक को हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है.
योगी सरकार के इस निर्णय से उन दिव्यांग हो चुके परिवारों में उम्मीद की किरण जागी है, जो लंबे समय से नियुक्ति के लिए गुहार लगा रहे थे. अपने सेवाकाल में स्थाई रूप से दिव्यांग हो चुके होमगार्ड्स के आश्रितों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए योगी सरकार ने एक स्पष्ट और बहुस्तरीय जांच प्रक्रिया का निर्धारण किया है.
अब नियुक्ति के लिए जिलास्तर से लेकर डीजी होमगार्ड कार्यालय तक कई चरणों में जांच और सिफारिशें की जाएंगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के होमगार्ड विभाग ने आवेदन का सही और निष्पक्ष तरीके से परीक्षण के लिए नई व्यवस्था लागू की है. इसके लिए पात्र आश्रितों की जांच और नियुक्ति के लिए चार चरणों पर काम करेगा.
इसके प्रथम चरण में आवेदन की जांच जिलास्तरीय सीएमओ समिति द्वारा की जाएगी. वहीं दूसरे चरण में जिलास्तरीय समिति द्वारा संस्तुति मिलने पर, जिला कमांडेंट इसे डीजी होमगार्ड के पास भेजेंगे. तृतीय चरण में मुख्यालय स्तर पर गठित समिति होगी जो चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे, सभी तथ्यों की गहन जांच करेगी.
इसके बाद फिर अंतिम चरण में डीजी होमगार्ड समिति की सिफारिशों के आधार पर नियुक्ति का अंतिम निर्णय लेंगे. पिछले कुछ वर्षों में दिव्यांग होमगार्ड्स के आश्रितों की नियुक्ति पर लगे प्रतिबंध के कारण लगभग 250 से अधिक मामले लंबित हो गए थे. यह परिवार लगातार अनिश्चितता और आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे.
लेकिन अब, योगी सरकार के इस कदम के बाद इन लंबित मामलों को प्राथमिकता से निपटाने का रास्ता साफ हो गया है. बता दें कि 2022 में सामने आए अपात्र उम्मीदवारों की भर्ती और अनुग्रह राशि के दुरुपयोग के मामलों ने सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया था.लेकिन, योगी सरकार ने इन घटनाओं को सुधार का अवसर बनाया.
अब नई प्रक्रिया में हर स्तर पर जांच और निगरानी को मजबूत किया गया है. स्वास्थ्य विभाग की भूमिका को भी बढ़ाया गया है, जिससे चिकित्सा जांच में कोई त्रुटि न हो इसके लिए प्रतिष्ठित संस्थानों को जांच प्रक्रिया में शामिल किया गया है, ताकि पात्रता का सही आकलन हो सके. साथ ही, जिम्मेदार समितियों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है कि हर नियुक्ति पूर्ण सत्यापन के बाद ही हो.
योगी सरकार का यह कदम केवल प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि यह मानवता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. होमगार्ड, जो समाज की सुरक्षा और सेवा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं, उनके परिवारों के प्रति यह संवेदनशीलता सरकार के मानवीय दृष्टिकोण को उजागर करती है. यह निर्णय उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है, जो अपने प्रियजन के दिव्यांग होने के बाद आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना कर रहे थे.
– आईएएनएस
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