महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, भारत के मूल आदर्श कभी इस्लाम या मुस्लिम विरोधी नहीं थे। राजनाथ सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन हमें यह सिखाता है कि मातृभूमि की रक्षा के लिए किया गया बलिदान किसी भी व्यक्तिगत सुख-सुविधा और सम्मान से बड़ा होता है।कौन सा ऐसा कष्ट है जो महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में नहीं झेला है। उन्होंने अपना महल और सत्ता का सुख छोड़ा। जंगलों में शरण ली और यहां तक की खास की रोटी भी खाई। मगर कभी भी उन्होंने स्वाधीनता और सम्मान के साथ समझौता नहीं किया।
हमारे आदर्श इस्लाम और मुस्लिम विरोधी बिल्कुल नहीं थे
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा, हमारे आदर्श इस्लाम और मुस्लिम विरोधी बिल्कुल नहीं थे। हकीम खान सूरी ने मुगलों के खिलाफ हल्दीघाटी की लड़ाई में महाराणा प्रताप का साथ दिया। यहां तक कि छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में भी मुस्लिम समुदाय के लोग थे। शिवाजी का सबसे भरोसेमंद अंगरक्षक मदारी भी एक मुस्लिम युवक था। महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे नायक हैं। रक्षा मंत्री ने इतिहास की किताबों में औरंगजेब को महिमामंडित करने पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, इस तरह के चित्रण ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं। जिन शासकों की विरासत विवादित होती है, गलत तरीके से उनकी प्रशंसा को बढ़ावा मिलता है।
उन्होंने कहा, हमारी इतिहास की किताबों में औरंगजेब जैसे क्रूर और निर्दयी शासक को भी महिमा किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस विकृत इतिहास के कारण कुछ लोग औरंगजेब को नायक के रूप में पेश करने की कोशिश करते हैं। सच्चाई जाने बिना औरंगजेब के प्रति सहानुभूति पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। सिंह ने आगे कहा कि पंडित नेहरू ने स्वयं औरंगजेब को एक कट्टरपंथी और धर्मांध शासक कहा था। उन्होंने लिखा था कि औरंगजेब ने हिंदुओं पर जजिया कर लगाया और राजपूतों, सिखों, मराठों और अन्य को दबाने की कोशिश की। उसने कई हिंदू मंदिरों को भी तोड़ा।