Artificial Rain: अब चीन की तरह भारत में भी होगी कृत्रिम बारिश, तैयारियां पूरी

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Artificial Rain in NCR: चीन में कृत्रिम बारिश के बारे में आपने सुना होगा. अब ऐसा ही कुछ भारत में होने जा रहा है. दरअसल,राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में बना हुआ है. कई स्थानों पर वायु गुणवक्ता सूचकांक 500 अंको को पार कर गया है. लगातार हवा में प्रदूषण के कारण राजधानी की आबोहवा खराब हो गई है. इस वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सांस के मरीजों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. इस बीच कानपुर आईआईटी ने एक ऐसी खबर दी है जिससे थोड़ी राहत मिल रही है.

दरअसल, दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कृत्रिम बारिश को लेकर आईआईटी कानपुर के प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल से बात की है और इस पर जानकारी मांगी है. हवा में फैले प्रदूषण और धूल के कणों को साफ करने के लिए आईआईटी कानपुर ने क्लाउड सीडिंग का प्रस्ताव दिया है. कानपुर आईआईटी की ओर से इस बाबत बताया गया कि इसके लिए सबसे पहले राज्य सरकार को डीजीसीए (नागर विमानन मंत्रालय) ने अनुमति लेनी होगी. कानपुर आईआईटी की एक सप्ताह के भीतर ही आर्टिफिशियल रेन कराने के लिए तैयार है.

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कृत्रिम बारिश से प्रदूषण होगा कम!
जानकारी दें कि कानपुर आईआईटी के सीनियर प्रोफेसर डॉ मनिंदर अग्रवाल ने कृत्रिम बारिश को लेकर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने उनसे संपर्क किया है. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ गया है. इस बढ़े प्रदूषण को लेकर सीआईआई (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) के साथ मिलकर विगत 2 महीने से ऑर्टिफिशियल रेन की प्लानिंग की जा रही है. प्रोफेसर डॉ मनिंदर अग्रवाल ने कहा कि सीआईआई इस मामले को लेकर काफी एक्टिव है.

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इन सब के बीच ये सवाल भी उठता है कि क्या कृत्रिम बारिश ही इस समस्या का समाधान है. ऐसे में प्रोफेसर मनिंदर ने कहा कि कृत्रिम बारिश से वातावरण के डस्ट पार्टिकल बह जाते हैं. ये कोई स्थाई समाधान नहीं है. इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि जो प्रदूषण के मुख्य कारक है उनसे कैसे निपटा जाए.

किन क्षेत्रों में कराई जाएगी ऑर्टिफिशियल रेन
आईआईटी कानपुर के सीनियर प्रोफेसर डॉ मनिंदर अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली एनसीआर काफी बड़ा इलाका है. कृत्रिम बारिश के लिए इश बात का ध्यान देना होगा कि बादल कहां होंगे और किस स्थिति में होंगे उसके आधार पर ही तय हो पाएगा बारिश कहा कराई जा सकती है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में एयरक्राफ्ट, उसके ईंधन इत्यादि चीजों पर काफी लागत आती है.

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