Driverless Metro Train: टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आए दिन कुछ न कुछ परिवर्तन होते रहता है. टेक्नोलॉजी अब मेट्रो ट्रेन में एक बड़ा बदलाव लाने जा रही है. देश के व्यस्त शहरों में ट्रैफिक को सुगम बनाए रखने के लिए मेट्रो लाइन बिछाई जा रही है, इस बीच बेंगलुरु की मेट्रो नई सुविधा से लैस होने वाली है. देश के सबसे बिजी शहरो में से एक बेंगलुरु भी है.
यहां के लोगों को अक्सर ट्रैफिक की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अधिकांश लोग इस समस्या से बचने और अपना समय बचाने के लिए ऑफिस या फिर कहीं दूसरी जगहों पर जाने के लिए मेट्रो का उपयोग करते हैं. अगर आप भी बेंगलुरु में रहते हैं या फिर आना जाना लगा रहता है तो यह खबर आपका दिन बना सकती है. जी हां, यहां जल्द ही ड्राइवरलेस मेट्रो शुरू होने वाली है.
चेन्नई पहुंची पहली ड्राइवरलेस ट्रेन
बेंगलुरु जिसे कार्पोरेट राजधानी भी कहा जाता है, यहां ड्राइवरलेस मेटो ट्रेन संचालन के लिए काम तेजी से चल रहा है. काम के प्रगति का अंदाजा आप इस बात से लगा जा सकते हैं कि पहली ड्राइवरलेस ट्रेन चीन से चेन्नई पहुंच भी गई है. आइए आपको इस ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन के ट्रायल से लेकर इसकी सुविधाओं की डिटेल्स बताते हैं.
आपको थोड़ा हैरानी होगा लेकिन यह सच है कि जल्द ही बेंगलुरु में ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन चलेगी. पहली ट्रेन चीन से चेन्नई बंदरगाह पर पहुंच चुकी है. रिपोर्ट के अनुसार, कस्टम क्लीयरेंस मिलने के बाद इसे बैंगलुरु पहुंचाया जाएगा.
असेंबल होने के बाद शुरू होगा ट्रायल
जानकारी के अनुसार, बेंगलुरु पहुंचने के बाद इस ट्रेन को इलेट्रॉनिक सिटी में असेंबल किया जाएगा, जहां चीनी इंजीनियरों की एक टीम असेंबली इसकी गतिविधि की देखरेख करेगी. यह खास ड्राइवरलेस ट्रेन सिल्क बोर्ड के माध्यम से मोम्मासंद्रा को आरवी रोड से जुड़ने वाली पीली लाइन पर ट्रायल किया जाएगा. ट्रायल के बाद इसकी रिपोर्ट मुख्य रेलवे सुरक्षा आयुक्त CCRS) को दी जाएगी.
इन सुविधाओं से लैस होगी ट्रेन
रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, ट्रेन यात्रियों की सुविधाओं के मद्देनजर इसमें 3 से लेकर 6 कोच होंगे. कोच के अंदर स्पेस का खास ध्यान रखा गया है. साथ ही इसमें सीसीटीवी कैमरे, सेल फोन और लैपटॉप चार्जिंग की सुविधा मिलेगी. ट्रेनों को चलाने के लिए ट्रेन के दोनों ओर चौड़े आपातकालीन दरवाजे होंगे.
यह ड्राइवरलेस ट्रेन 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है. इसके अलावा इस ट्रेन में आटोमैटिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें जीपीएस, सिग्नल रीडिंग, टाइमिंग सिक्वेस तकनीक होगी. फिलहाल अभी एक साल तक इस ट्रेन की टेस्टिंग होगी.
ये भी पढ़ें:- Wheat Price: क्या बढ़ने वाले हैं गेहूं के दाम? सरकार ने गेहूं की महंगाई रोकने के लिए उठाया ये बड़ा कदम