पानी में बनेगी दुश्मन की कब्र, K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल हुआ परीक्षण

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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इंडियन नेवी (Indian Navy) ने बुधवार को K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर दुनिया को अपनी ताकत दिखाई है. यह एक लंबी दूरी की परमाणु मिसाइल है. यह परीक्षण न्यूक्लियर सबमरीन अरिघात से की गई थी. इस परीक्षण से भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में एक मजबूत रणनीतिक शक्ति बन गया है. यह परीक्षण बुधवार को रणनीतिक बल कमान द्वारा किया गया. इस परीक्षण के साथ ही दुश्मन देशों के छक्के छुड़ाने में भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा हो गया है.

पानी में बनेगी दुश्मन की कब्र

बता दें कि K-4 मिसाइल 3,500 किलोमीटर से ज्यादा दूर तक मार कर सकती है. इसे डीआरडीओ (DRDO) ने बनाया है. यह मिसाइल पानी के अंदर से दुश्मन के इलाके में सटीक निशाना लगा सकती है. INS अरिघात पनडुब्बी 6,000 टन की है और इसे अगस्त में सेना में शामिल किया गया था. इस पनडुब्बी से मिसाइल के सफल परीक्षण से भारत की तकनीकी क्षमता का पता चलता है.
भारत ने बंगाल की खाड़ी में एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी से लगभग 3,500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है, जो इसकी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता और सामरिक क्षमताओं को एक बड़ा बढ़ावा देता है. इस परीक्षण के साथ ही दुश्मन देशों के छक्के छुड़ाने में भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा हो गया है.

बैलिस्टिक मिसाइल का पहला परीक्षण

मामले से परिचित लोगों ने गुरुवार को बताया, इस परीक्षण के साथ ही भारत उन देशों के एक छोटे समूह का हिस्सा बन गया है, जिनके पास जमीन, हवा और पानी के नीचे से परमाणु मिसाइल दागने की क्षमता है. लोगों ने बताया, K4 मिसाइल का परीक्षण बुधवार (27 नवंबर) को विशाखापत्तनम के तट पर पनडुब्बी INS अरिघाट से किया गया.
लोगों ने बताया कि यह पनडुब्बी से लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइल का पहला परीक्षण था. पिछले कुछ सालों में पनडुब्बी से ठोस ईंधन वाली मिसाइल का कम से कम पांच बार परीक्षण किया गया था. इससे पहले भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से दूसरी अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट को 29 अगस्त को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था.
इसे स्वदेशी प्रणालियों और उपकरणों का गौरव प्राप्त है, जिनकी संकल्पना, डिजाइन, निर्माण और एकीकरण भारतीय वैज्ञानिकों, उद्योग और नौसेनाकर्मियों द्वारा किया गया है. पिछले कुछ वर्षों में भारत अपनी समग्र सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है और अलग-अलग रेंज वाली मिसाइलों की एक श्रृंखला का परीक्षण कर रहा है.

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