अगर जेल गए केजरीवाल तो कैसे चलेगी दिल्ली की सरकार? देना होगा इस्तीफा या बने रहेंगे सीएम; जानिए कानून

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Explainer: दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर इन दिनों गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. दिल्ली में कथित शराब घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी कर रही है. ईडी अरविंद केजरीवाल से पूछताछ करने के लिए तीन बार समन जारी कर चुकी है. हालांकि किसी भी समन के दौरान वह ईडी के सामने पेश नहीं हुए. इसके बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि आने वाले दिनों में ईडी वारंट जारी कर के केजरीवाल को हिरासत में भी ले सकती है. देखने वाली बात ये होगी कि क्या ईडी चौथा समन जारी करती है या फिर कोई कार्रवाही करती है.

इन सब के बीच आम आदमी पार्टी के कई नेता दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका जता चुके हैं. वहीं, सीएम केजरीवाल ने ईडी के नोटिस को गैर कानूनी करार दिया है और कहा कि जब नियमों के तहत नोटिस भेजा जाएगा तो वह जांच में जरूर सहयोग करेंगे. हालांकि, आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि केजरीवाल अगर जेल भी जाते हैं तो वहीं से सरकार चलाएंगे. आप नेताओं का कहना है कि जेल से ही कैबिनेट की मीटिंग होगी. आइए आपको बताते हैं क्या ये संभव है कि कोई सीएम जेल से सरकार चलाए? इस मामले में कानून क्या कहता है? क्या इससे पहले कोई ऐसा मामला सामने आया है?

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क्या कहते हैं नियम?

अगर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 के अंतर्गत देखें तो देश के राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जा सकता. इतना ही नहीं उनके खिलाफ कोई आदेश भी जारी नहीं किया जा सकता है. देश के राष्ट्रपति और राज्यपाल को सिविल या क्रिमिनल दोनों ही मामलों में छूट मिली हुई है. वहीं, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आदि को केवल सिविल मामलों में ही ये छूट मिली हुई है. क्रिमिनल मामलों में संसद, विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तार किया जा सकता है. हालांकि गिरफ्तारी से पहले इस बात की जानकारी अध्यक्ष या सभापति को अनिवार्य रूप से देनी होगी.

जेल जाने से पहले देना होता है इस्तीफा?

भारत में किसी भी सीएम या मंत्री को जेल जाने के कारण त्यागपत्र नहीं देना पड़ता है. यहां पर मामला आरोप और दोषसिद्धि का होता है. किसी भी मामले में अगर कोई व्यक्ति केवल आरोपी है तो कानूनी रूप से उसे पद से नहीं हटाया जा सकता. अगर उदाहरण के तौर पर देखें तो कई ऐसे विधायक और सांसद रहे हैं, जो जेल में रहते हुए चुनाव लड़े साथ ही जीत भी दर्ज की. लेकिन अगर किसी भी नेता पर लगे आरोप सिद्ध होते हैं और उसे सजा मिलती है तो उसे पद से हटाया जा सकता है. इतना ही नहीं 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक होती है.

‘आप’ नेता बोले जेल से चलेगी दिल्ली की सरकार

दिल्ली में शराब घोटाले मामले में मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले से ही जेल में हैं. अब आप के नेताओं ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका जताई है. इन सब के बीच आप के नेताओं का कहना है कि अगर सीएम अरविंद केजरीवाल को जेल भेजा जाता है तो भी सीएम पद पर वही रहेंगे. आवश्यक हुआ तो जेल से ही कैबिनेट भी चलेगी. आप नेताओं ने यह भी कहा कि जरुरत पड़ने पर अधिकारी किसी भी काम के लिए जेल जाएंगे और काम करेंगे. दिल्ली सरकार के तमाम मंत्री जेल जाकर ही काम कराया करेंगे.

क्या कहते हैं संविधान के नियम

जानकारी दें कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि जेल जाने के साथ ही किसी सीएम को अपने पद से इस्तीफा देना पड़े. लेकिन सामान्यतः जेल से सरकार चला पाना लोकतांत्रिक रूप से सही नहीं है. जेल जाने के बाद जेल के नियमों का पालन करना ही पड़ता है. चाहें कोई आम नागरिक हो या फिर किसी भी राज्य का सीएम हो. जेल में किसी प्रकार के अधिकारियों के साथ मीटिंग, कैबिनेट मीटिंग संभव नहीं है. भले आप के नेता कह रहे हो कि जेल से दिल्ली की सरकार चलेगी, लेकिन यह पॉसिबल नहीं है.

जानिए पहले के उदाहरण

भारतीय राजनीति में ये कोई नया मामला नहीं है. इससे पहले भी ऐसे मामले आ चुके हैं जिसमें सीएम पद पर रहते हुए किसी नेता के जेल जाने की नौबत आई हो. अगर अतीत में प्रकाश डाले तो साल 2001 और 2014 में जयललिता को कोर्ट से सजा मिली जिसके बाद उन्हें सीएम का पद त्यागना पड़ा. अगर बिहार को लेकर देखें तो लालू प्रसाद यादव ने जेल जाने से पहले अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बनाया था. वहीं, मध्य प्रदेश की सीएम रहने के दौरान साल 2004 में उमा भारती के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निकला था, जिस कारण सीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. अपने देश में सजा मिली हो या नहीं आम तौर पर जेल जाने की नौबत आने पर सीएम पद से इस्तीफा देने का रिवाज रहा है.

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