‘नहीं पूरे हुए सात फेरे तो वैध नहीं मानी जा सकती हिंदू धर्म में शादी’, HC की अहम टिप्पणी

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Allahabad High Court Verdict: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक मामले की सुनावई के दौरान अहम टिप्पणी की. इलाहाबाद एचसी ने हिंदू धर्म में शादी को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हिंदू विवाह सात फेरों और अन्य रीतियों के बिना वैध नहीं माना जा सकता है.

इलाहाबाद एचसी ने एक शिकायती मामले की पूरी कार्यवाही को ही रद्द कर दिया, जिसमें पति द्वारा पत्नी पर आरोप लगाया था कि वो तलाक लिए बगैर दूसरी शादी कर ली, इसलिए उसे दंड दिया जाना चाहिए.

जानिए मामला
दरअसल, स्मृति सिंह नाम की महिला की याचिका को स्वीकार करते हुए जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा, ‘यह स्थापित नियम है कि जब तक उचित ढंग से विवाह संपन्न नहीं किया जाता, वह विवाह संपन्न नहीं माना जाता.’

कोर्ट ने कहा, “यदि विवाह वैध विवाह नहीं है, तो पार्टियों पर लागू कानून के अनुसार, यह कानून की नजर में विवाह नहीं है. हिंदू कानून के तहत ‘सप्तपदी’ समारोह वैध विवाह के लिए आवश्यक घटकों में से एक है, लेकिन वर्तमान मामले में उक्त साक्ष्य की कमी है.”

किस मामले पर कोर्ट ने की सुनवाई
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने मिर्जापुर की अदालत के 21 अप्रैल, 2022 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें स्मृति सिंह को समन जारी किया गया था. इलाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायत में सप्तपदी के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है. इस वजह से कोर्ट के विचार आवेदक के खिलाफ कोई अपराध का मामला नहीं बन रही है. क्योंकि दूसरे विवाह का आरोप निराधार है.

पति ने पत्नी पर दूसरा विवाह करने का लगाया आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पूरे मामले में स्मृति सिंह याचिकाकर्ता हैं जिनका विवाह सत्यम सिंह के साथ 2017 में हुआ था. दोनों के बीच मनमुटाव के चलते स्मृति अपना ससुराल छोड़कर चली गई. पत्नी ने पति के साथ उसके परिवार पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई. इस पूरे मामले में जांच के बाद पुलिस ने पति और सास-ससुर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया. जैसे जांच आगे बढ़ी पति ने पुलिस के उच्च अधिकारियों के पास एक प्रार्थना पत्र देकर अपनी पत्नी पर दूसरा विवाह करने का आरोप लगाया.

पति सत्यम सिंह की शिकायत के आधार पर मिर्जापुर के सदर क्षेत्राधिकारी द्वारा इस पूरे मामले की विस्तृत जांच की गई, जिसमे पत्नी पर दूसरे विवाह का आरोप झूठा साबित हुआ. हालांकि इसके बाद पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ मिर्जापुर के संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने 20 सितंबर, 2021 को एक शिकायत पत्र दाखिल किया और फिर पत्नी पर दूसरा विवाह करने का आरोप लगाया है. इस मामले में मजिस्ट्रेट ने 21 अप्रैल, 2022 को याचिकाकर्ता स्मृति सिंह को समन जारी किया. जिसके बाद स्मृति सिंह ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां उन्होंने समन को और शिकायती मामले की पूरी कार्रवाही को चुनौती दी.

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