Hydrogen Valley: केंद्र सरकार देश में हरित ऊर्जा (Green Energy) ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए काफी कोशिश कर रही है. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स से लेकर ग्रीन एनर्जी के स्त्रोत को नया रूप देने के लिए सरकार नई घोषणाएं भी कर रही है. इसी क्रम में केंद्र सरकार एक कंपनी के साथ मिलकर हाइड्रोजन वैली की शुरुआत करने जा रही है. बुधवार को जेनसोल इंजीनियरिंग ने मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स लिमिटेड के साथ मिलकर पुणे में भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन वैली परियोजना स्थापित करने का ठेका मिलने की जानकारी दी है. बीएसई को दी सूचना के मुताबिक, ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन प्लांट इलेक्ट्रोलिसिस रूट के जरिये बिल्ड ओन एंड ऑपरेट (BOO) आधार पर स्थापित होगा.
कंपनी ने दी जानकारी
जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रबंध निदेशक अनमोल जग्गी ने इसके बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के जरिये इन हाइड्रोजन वैली को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम उठाया है. उन्होंने बताया कि हम भारत में हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए पुणे में विशेष रसायन क्षेत्र को 24 घंटे ग्रीन हाइड्रोजन की आपूर्ति करने जा रहे हैं. कुरकुंभ क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन वैली को राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) पुणे द्वारा समर्थित किया गया है।
ग्रीन हाइड्रोजन को किया गया था नोटिफाई
भारत सरकार ने 17 फरवरी 2022 को हरति हाइड्रोजन और हरित अमोनिया नीति को नोटिफाई किया था. इस पॉलिसी के जरिए सरकार 2030 तक डोमेस्टिक ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन को 5 मिलियन टन तक पहुंचाना चाहती है. दीर्घकालिन में केंद्र सरकार का उद्देश्य भारत को क्लीन फ्यूल का एक्सपोर्टर बनाना है. ग्रीन हाइड्रोजन को पानी से बनाया जाता है. इसमें पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में तोड़ दिया जाता है. सरकार के इस विजन को साकार करने के लिए देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) कार्बन उत्सर्जन वाली इकाइयों को बदलने के लिए 2024 तक अपनी मथुरा और पानीपत रिफाइनरियों में ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित करेगी.
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