रिपोर्ट में खुलासा, गोला-बारूद निर्माण में वैश्विक महाशक्ति बनने की राह पर भारत

Raginee Rai
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India Ammunition Superpower: दुनिया में बढ़ते भू-राजनीतिक संघर्ष, सैन्य खर्च में वृद्धि और बढ़ते विद्रोह ने सैन्य खर्च को तेजी से बढ़ाया है. इस वजह से गोला बारूद बाजार के साल 2032 तक 1.84 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. इसने ग्‍लोबल आर्म्‍स मार्केट में भारतीय कंप‍नियों के लिए अवसर खोल दिए है. गोला बारूद के निर्माण में भारत का दबदबा बढ़ रहा है.

फिक्की (FICCI) और केपीएमजी की नई रिपोर्ट में इस अहम क्षेत्र में भारत की क्षमता और रणनीतिक प्रगति का खुलासा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पास दुनिया में तेजी से बढ़ते हथियार बाजार पर कब्‍जा करने की क्षमता है. एम्मो इंडिया (AMMO) 2024 रिपोर्ट में गोला बारूद बनाने के क्षेत्र में बढ़ते अवसर को रेखांकित किया गया है.

ग्‍लोबल मार्केट में भारत की भूमिका

इस साल की एम्मो इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक गोला-बारूद बाजार के सालाना 3.95 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए साल 2032 तक 1,84,092 करोड़ (22 अरब डॉलर) तक पहुंचने की संभावना है. इस विकास पथ में भारत के घरेलू हथियार उद्योग की अहम भूमिका होने वाली है. साल 2023 में गोला-बारूद की ग्‍लोबल डिमांड 1,29,260 करोड़ रुपये यानी 15.5 अरब डॉलर आंकी गई थी. इसमें भारी कैलिबर गोला-बारूद का हिस्सा सबसे अधिक 53.4 प्रतिशत रहा. इसके बाद ग्रेनेड, माइंस और मोर्टार की 23.27 प्रतिशत और मध्य कैलिबर की 12.84 प्रतिशत हिस्सेदारी रही.

भारतीय बाजार में मजबूती

गोला-बारूद के निर्माण में भारत खुद को सुपरपावर बनाने की राह पर है. गोला-बारूद मार्केट में पर्याप्त वृद्धि को देखते हुए साल 2032 में इसके बाजार का मूल्य 7,057 करोड़ रुपये यानी 84.4 करोड़ डॉलर होगा, जो वैश्विक गोला-बारूद उद्योग का करीब 5.5 प्रतिशत है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-2032 की अवधि में हथियार बाजार 4.93  प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर से बढ़कर 11,981 करोड़ रुपये यानी 1.4 अरब डॉलर हो जाएगा.

भारतीय गोला-बारूद उद्योग पर पारंपरिक तौर पर सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं जैसे रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का दबदबा रहा है. अपने अहम योगदान के बाद भी इन संगठनों को पुरानी टेक्‍नीक, अक्षमताओं और सप्‍लाई चैन बाधा जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. इससे मांगों को पूरा करने की उनकी क्षमता सीमित हुई है. रक्षा उत्पादन में उदारीकरण नीतियों और मेक इन इंडिया जैसी पहलों ने प्राइवेट सेक्‍टर की भागीदारी को आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाई है. इस क्षेत्र में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों खिलाड़ियों से निवेश में उछाल दर्ज किया गया है. गोला बारूद हथियार तीन श्रेणियों में बंटा है.

स्माल कैलिबर गोला बारूद

इस कैटेगरी में आने वाले हथियारों का इस्तेमाल खासतौर पर सैनिक करते हैं. इसमें 5.56 एमएम, 7.62 एमएम, 9 एमएम और 12.7 एमएम कैलिबर के हथियार आते हैं. भारतयी सैन्य बल मुख्‍य रूप से 5.56 x 45 एमएम के नाटो राउंड पर निर्भर हैं.

मीडियम कैलिबर गोला बारूद

आर्मर लड़ाकू वाहनों, एयरक्राफ्ट, एंटी-एयरक्राफ्ट मोर्टार और जहाजों पर मीडियम कैलिबर गोला बारूद की तैनाती होती है. इसमें 20 एमएम से 120 एमएम कैलिबर के गोले आते हैं.

हैवी कैलिबर गोला बारूद

इनका इस्‍तेमाल टैंक और तोपों में होता है. ये गोला-बारूद 105 से 120 एमएम कैलिबर के होते हैं. वहीं भारत अपने तोपखाने को 120 एमएम कैलिबर पर कर रहा है.

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