Indian Army: अब भारतीय सीमा पर दुश्मनों की खैर नहीं, क्योंकि भारत सीमा पर अपनी सेना को और भी मजबूत करने की तैयारी में जुट चुका है. ऐसे में अब भारतीय सेना 7 हजार करोड़ रुपए की एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम खरीदने वाली है. यह आर्टिलरी गन सिस्टम 45 किलोमीटर की रेंज में हर मिनट गोले दागने की क्षमता रखता है, जो 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में भी सक्षम है.
सेना को 8 सौ तोपों की आवश्यकता
बता दें कि भारतीय सेना को ऐसे 800 से ज्यादा तोपों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में भारत के पास सिर्फ 307 होवित्जर तोप को रक्षा मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे दी गई. दरअसल, इस समय भारतीय सेना अपने आर्टिलरी रेजमेंट के आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रही है. इसके लिए देश में बनी तोपों के माध्यम से ही सेना की ताकत में इजाफा किया जाना है.
मारक क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही भारतीय सेना
हालांकि अब सरकार की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी सेनाकी स्वदेशी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) के साथ रेंज और मारक क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और अपनी तोपखाने को आधुनिक बनाने का इरादा रखती है. ऐसे में अब सेना स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक 155 मिमी हॉवित्जर एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) की खरीद में आगे बढ़ेगी.
एमजीएस के लिए परीक्षण 2026 में समाप्त होने की उम्मीद
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये बंदूकें 48 किलोमीटर तक की रेंज का दावा करती हैं और इन्हें ट्रकों पर एकीकृत करके माउंटेड गन सिस्टम (एमजीएस) में अनुकूलित किया जा रहा है. दरअसल, एमजीएस के लिए परीक्षण साल 2026 तक समाप्त होने की उम्मीद है. ऐसे में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पुरानी सेना बंदूकों को आधुनिक 155 मिमी तोपखाने बंदूक प्रणाली से बदलने के लिए 2013 में एटीएजीएस परियोजना शुरू की.
एटीएजीएस अनुबंध पर हस्ताक्षर करना सेना कर लक्ष्य
इस बंदूक का निर्माण भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने किया है. ऐसे में इस ऑर्डर को भारत फोर्ज के बीच विभाजित किया जाएगा, जो ATAGS टेंडर के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले के रूप में उभरा, 60% बंदूकें बनाने और आपूर्ति करने के लिए, जबकि शेष 40% TASL द्वारा उत्पादित किया जाएगा. ऐसे में भारत का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष के अंत तक एटीएजीएस अनुबंध पर हस्ताक्षर करना है.
भारतीय तोपखाने की ताकतों में होगा इजाफा
दरअसल, साल 2020 में गलवान झड़प के बाद, भारतीय सेना एलएसी पर अपनी तैनाती बढ़ाने पर केंद्रित रही है. ऐसे में एटीएजीएस चीन से लगी इन सीमाओं पर तोपखाने की ताकत में एक बड़ा इजाफा होगा, जहां भारत आक्रामक रक्षा मुद्रा बनाए हुए है. बता दें कि एटीएजीएस सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ तालमेल बिठाते हुए स्वदेशी समाधानों के प्रति सेना की प्रतिबद्धता भी सुनिश्चित करता है.
भारतीय सेना एटीएजीएस के अलावा, अपने शस्त्रागार में पिनाका ताकत भी बढ़ाएगी. दरअसल वर्तमान में भारतीय सेना पिनाका की चार रेजिमेंट संचालित करती है, जबकि अंततः इसे 22 रेजिमेंट तक विस्तारित करने की योजना पर काम चल रहा है.
इसे भी पढें:-चीन बना दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व, धरती के अंदर मिला अरबों डॉलर के सोने का भंडार