Indian Army: भारतीय सेना में हाल ही के दिनों में काफी बदलाव देखने को मिले है. ऐसे में ही अब भारतीय सेना धार्मिक ग्रंथों से युद्ध करना सीखेगी, जिसके लिए इनका अध्ययन किया जा रहा है. दरअसल, सेना ने प्रोजेक्ट उद्भव (विकास) की एक पहल शुरू की है. इस पहले के तहत भारतीय ग्रंथों जैसे- महाभारत की महाकाव्य लड़ाई, मौर्य, गुप्त और मराठों की रणनीतिक प्रतिभा का पता लगाया जाएगा.
भारतीय सेना के रणनीति की जानकारी देते हुए सेना प्रमुख ने बताया कि इसके तहत भारत की समृद्ध सैन्य विरासत को आकार देने की योजना है. उन्होंने कहा कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य देश के ऐतिहासिक सैन्य ज्ञान के माध्यम से सेना को प्रगितिशील और भविष्य के लिए तैयार करना है.
Indian Army: सेना प्रमुख ने दी जानकारी
बता दें कि युनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय सामरिक संस्कृति में ऐतिहासिक पैटर्न विषय पर बोलते हुए सेना प्रमुख ने इस प्रोजेक्ट के बारे जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य महाभारत, वेद, पुराण, उपनिषद और अर्थशास्त्र की सीख को शामिल करना है.
महान योद्धाओं के शौर्य से भरा है भारतीय इतिहास
भारतीय सेना के प्रोजेक्ट उद्भव को पिछले वर्ष ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लॉन्च किया था. दरअसल, भारत का इतिहास महान योद्धाओं महाराजा रंजीत सिंह से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज तक के शौर्य से भरा पड़ा है. इन सभी लोगों ने युद्ध के मैदान में अपने कुशल क्षमता का परिचय दिया था.
प्राचीन ग्रंथों का किया जाएगा अध्ययन
इंडियन आर्मी चीफ ने कहा कि सदियों पुराने ज्ञान को समकालीन सैन्य शिक्षाशास्त्र के साथ एकीकृत करना है, जिसके अंतर्गत वेद, पुराण, उपनिषद और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन किया जाएगा. वहीं, महाभारत के युद्ध, मौर्य, गुप्त और मराठा के शासन काल के समय सामरिक उत्कृष्टता की भी बारीकी से अध्ययन किया गया. इन युद्धों ने भारत की समृद्ध सैन्य विरासत को आकार दिया है.
देश की समग्रता के दृष्टिकोण को मिलेगी मजबूती
आपको बता दें कि चाणक्य ले अर्थशास्त्र को लिखा है, जिसमे युद्ध कला, शासन व्यवस्था और राजनीति सहीत अन्य कई विषयों पर गंभीर विचार प्रकट किए गए हैं. सेना के चीफ ने कहा कि उद्भव परियोजना शिक्षाविद, विद्वान और सैन्य विशेषज्ञों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देगी, जिससे देश की समग्रता के दृष्टिकोण को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि हमारा मकसद सदियों पुराने ज्ञान को समकालीन सैन्य शिक्षाशास्त्र के साथ एकीकृत करना है.
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