ISRO: होली के मौके पर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने देश को बड़ा तोहफा दिया है. दरअसल, इसरो ने स्पैडेक्स उपग्रह की सफलतापूर्वक अनडॉकिंग कर ली है, जिससे भारत के अगले मिशन चंद्रयान-4 के लिए रास्ता साफ हो गया है. बता दें कि दरअसल, अंतरिक्ष में उपग्रहों को एक साथ जोड़ने की प्रक्रिया को डॉकिंग कहते है, वहीं इन्हें अलग करने की प्रक्रिया को अनडॉकिंग कहते हैं.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को बताया कि उन्होंने ‘स्पेडेक्स’ उपग्रहों को ‘डी-डॉक’ करने का काम पूरा कर लिया है, जिससे चंद्रमा की खोज, मानव अंतरिक्ष उड़ान और अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने जैसे भविष्य के मिशनों के लिए रास्ता साफ हो गया है.
पिछले साल शुरू हुआ था मिशन
बता दें कि स्पेडेक्स मिशन 30 दिसंबर 2024 को शुरू किया गया था, जब इसरो ने अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रयोग का प्रदर्शन करने के लिए दो उपग्रहों- एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02 को कक्षा में स्थापित किया था. इस दौरान कई प्रयासों के बाद अंतरिक्ष एजेंसी ने 16 जनवरी को दोनों उपग्रहों को सफलतापूर्वक ‘डॉक’ किया था.
Union MoS(Ind. Charge) Science & Technology; Earth Sciences, Jitendra Singh tweets, "Congrats, team ISRO. It is heartening for every Indian. SPADEX Satellites accomplished the unbelievable De-Docking… This paves the way for the smooth conduct of ambitious future missions,… pic.twitter.com/EiT8PQqGmS
— ANI (@ANI) March 13, 2025
पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री ने दी बधाई
ऐसे में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने इसरो के इस कामयाबी के लिए उसे बधाई दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि यह हर भारतीय के लिए खुशी की बात है. स्पैडेक्स उपग्रहों ने अविश्वसनीय डी-डॉकिंग को पूरा कर लिया गया है. इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान समेत भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों में काफी मदद मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि इससे इन मिशनों को आगे बढ़ाने का मार्ग भी प्रशस्त होगा. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंतर संरक्षण इस उत्साह को बढ़ाता है.’
मिशन के फायदे
- दरअसल, भारत की योजना 2035 में अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है. ऐसे में इस मिशन की सफलता इसके लिए अहम है. बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में 5 मॉड्यूल होंगे, जिन्हें अंतरिक्ष में एक साथ लाया जाएगा. इनमें पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाना है.
- इसके अलावा, यह मिशन चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए भी अहम है. यह प्रयोग उपग्रह की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबे को हटाने और अन्य के लिए आधार तैयार करेगा.
- बता दें कि यह तकनीक उन मिशनों के लिए अहम है, जिनमें भारी अंतरिक्ष यान और उपकरण की जरूरत होती है, जिन्हें एक बार में लॉन्च नहीं किया जा सकता.
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