इसरों की बड़ी सफलता, कक्षा में पहुंचा EOS-08 उपग्रह, बाढ़ से लेकर ज्वालामुखी तक की मिलेगी सटीक जानकारी

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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ISRO: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने सुबह आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से नए रॉकेट एसएसएलवी D3 का प्रक्षेपण किया. साथ EOS-08  मिशन के रूप में नई अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट लॉन्च की गई, जो आपदाओं के बारे में जानकारी प्रदान करेंगी. इसरो ने बताया कि यह एसएसएलवी की अंतिम प्रदर्शन उड़ान है.

लगाये गए तीन अत्याधुनिक पेलोड 

बता दें कि अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट EOS-08 पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही पर्यावरण और आपदा को लेकर अर्लट करेगा. साथ ही तकनीकी प्रदर्शन भी करेगा. करीब 175.5 किलोग्राम भार वाला EOS-08 कई वैज्ञानिक और व्यावहारिक क्षेत्रों में मूल्यवान डाटा और अंतर्दृष्टि का योगदान देने के लिए डिजाइन किया गया है.इसमें तीन अत्याधुनिक पेलोड लगाये गए है-एक इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), एक ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर) और एक एसआईसी यूवी डोसिमीटर.

पर्यावरण और आपदा की जानकारी देगा EOS-08

इस सेटेलाइट में लगा ईओआईआर पेलोड को मध्य-तरंग आईआर और लंबी-तरंग आईआर बैंड में दिन और रात दोनों समय में तस्‍वीरों को लेने के लिए तैयार किया गया है, जो आपदा निगरानी से लेकर ज्वालामुखी गतिविधि के अवलोकन तक के अनुप्रयोगों को सक्षम बनाता है. वहीं, जीएनएसएस-आर पेलोड महासागर की सतह की हवा के विश्लेषण, मिट्टी की नमी के आकलन और बाढ़ का पता लगाने के लिए अभिनव रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करता है.

एक साल होगा ईओएस-08 का मिशन का जीवन 

दरअसल, ईओएस-08 में कई स्वदेशी रूप से विकसित किए गए घटक भी शामिल हैं, जिनमें सौर सेल निर्माण प्रक्रियाएं और माइक्रोसैट अनुप्रयोगों के लिए एक नैनो स्टार-सेंसर शामिल हैं. इसरो के मुताबिक, नवाचार के लिए मिशन की प्रतिबद्धता बेहतर प्रदर्शन के लिए एक्स-बैंड डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम तक फैली हुई है. यह अपने नियोजित एक वर्ष के मिशन जीवन के साथ, ईओएस-08 महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करने के लिए तैयार है, जो पृथ्वी की प्रणालियों समझने में मदद करने के साथ ही समाज और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए लाभकारी अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला का समर्थन करेगा.

SSLV को मिल जाएगा यह दर्जा

एसएसएलवी D3 की लॉन्चिंग के बाद SSLV को पूरी तरह से ऑपरेशन रॉकेट का दर्जा मिल जाएगा. बता दें कि SSLV-D1/EOS-02 के पहले मिशन ने अगस्त 2022 में उपग्रहों को इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया था. वहीं, दूसरी विकासात्मक उड़ान 10 फरवरी, 2023 को सफलतापूर्वक लॉन्च की गई थी. एसएसएलवी रॉकेट की लागत PSLV रॉकेट से करीब छह गुना तक कम है.

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