केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड में भाषा और स्वदेशी आवाज की राजनीति, विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत बुधवार को हुई. यह सम्मेलन न सिर्फ भाषा और स्वदेशी साहित्य के प्रति जागरुकता बढ़ाने का माध्यम बना, बल्कि शोधकर्ताओं और साहित्यकारों के लिए एक संवाद मंच भी प्रस्तुत किया. सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. सम्मेलन की अध्यक्षता कुलपति डॉ क्षिति भूषण दास ने की.
इस दौरान, पद्मश्री अशोक भगत ने भाषा संबंधी मुद्दों से जुड़ी राजनीतिक चुनौतियों के बीच अकादमिक गतिविधियों के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, हमारा देश पक्षियों का भाषा समझने वाला गौरवपूर्ण संस्कृति का देश रहा है. यहां राजनीति और भाषा का अद्भुत संगम है. वहीं, सीयूजे के कुलपति प्रो क्षिति दास ने विभिन्न भाषाई समूहों के बीच भाषा परिवर्तन की जटिलताओं पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि भाषा वंचितों को आवाज देती है, यही इसकी ताकत भी है.
कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह के वरिष्ठ अधिकारी रामाशीष जी, राँची विश्वविद्यालय के कुलपति अजीत कुमार सिन्हा, भूतपूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार, डॉ. मुकेश मिश्रा सहित अनेक प्रोफ़ेसर, शोधार्थी व विद्यार्थीगण उपस्थित रहें.