What is Shwet Patra: करीब एक दशक पहले साल 2014 में जब पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी, तो देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब थी. वहीं, यूपीए सरकार यह मानने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी कि उसने 10 सालों में देश की अर्थव्यवस्था का बुरा हाल कर छोड़ा था. ऐसे में नई सरकार पर श्वेत पत्र लाने की बात की जा रही थी. देश में बनी नई सरकार ने कोई भी हड़बड़ी ना दिखाते हुए श्वेत पत्र से दूरी बनाई. सरकार के इस फैसले से कई लोग नाराज थे. इसमें कुछ विपक्ष के लोग तो कुछ पक्ष के लोग भी शामिल थे. लेकिन अब एक दशक के बाद श्वेत पत्र की मांग पूरी होने जा रही है. आपको इस ऑर्टिकल में हम बताएंगे कि श्वेत पत्र क्या होता है और इसे लाना क्यों अनिवार्य है.
दरअसल, 10 सालों बाद अचानक श्वेत पत्र की बात इसलिए होने लगी क्योंकि 1 फरवरी को अंतरिम बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात का जिक्र किया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा कि 2014 से पहले ‘अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन’ पर श्वेत पत्र लाया जाएगा.
दरअसल, श्वेत पत्र को लेकर निर्मला सीतारमण ने कोई डेट तो नहीं दी है, हालांकि एक बात तो फिक्स है कि लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा से पहले संसद में श्वेत पत्र पेश किया जा सकता है. श्वेत पत्र में सरकार यह बताएगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत 2014 से पहले क्या थी और फिर NDA ने कौन-कौन से कदम उठाकर उसे कैसे दुरुस्त किया.
कहां थे और कहां पहुंच गए, सरकार देगी लेखा-जोखा
जानकारी दें कि 1 फरवरी को बजट के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 में जब हमारी सरकार ने बागडोर संभाली थी, तब अर्थव्यवस्था को चरण-दर-चरण दुरुस्त करने और शासन प्रणाली को सही रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी. उन्होंने कहा कि उस वक्त की मांग थी कि लोगों की उम्मीदें जगें, निवेश आकर्षित किया जाए और अति आवश्यक सुधार के लिए समर्थन जुटाया जाए. सरकार ने ‘राष्ट्र प्रथम’ के मजबूत विश्वास के साथ इसे सफलतापूर्वक हासिल किया.
वित्त मंत्री ने इस बात की घोषणा की कि सरकार अर्थव्यवस्था पर सदन के पटल पर श्वेत पत्र पेश करेगी. इससे पता चलेगा कि 2014 में कहां थे और 2024 में हम कहां पहुंच गए. वित्त मंत्री ने कहा कि श्वेत पत्र का मुख्य उद्देश्य ‘वर्षों के कुप्रबंधन से सबक सीखना’ है.
जानिए क्या होता है श्वेत पत्र
इंटरनेट पर मिली जानकारी के अनुसार श्वेत पत्र एक तरह का आधिकारिक बयान होता है, जो सरकार द्वारा संसद की पटल पर पेश किया जाता है. दरअसल, विपक्ष उस दौरान श्वेत पत्र की मांग करता है, जब उसे लगता है सरकार किसी मुद्दे पर पूरी बात नहीं बता रही. अमूमन कहा जाता है कि सरकार श्वेत पत्र में झूठ नहीं बोलती है. हालांकि श्वेत पत्र का कोई वैधानिक महत्व नहीं है.
बीजेपी के लिए श्वेत पत्र बनेगा जीत की गारंटी?
राजनीतिक जानकार लोकसभा चुनाव 2024 को एकतरफा मुकाबला के तौर पर देख रहे हैं. दो बार से केंद्र की सत्ता पर काबिज एनडीए की सरकार अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है. यही वजह है कि वित्त मंत्री ने अपने भाषण के दौरान कोई भी लोकलुभावन वादे नहीं किए हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह ‘जुलाई में विकसित भारत का विस्तृत रोडमैप’ पेश करेंगी. यानी बीजेपी को पूरा यकीन है कि बीजेपी की सरकार एक बार फिर से बनने जा रही है और इसके बाद वह पूर्ण बजट पेश करेंगी.
माना जा रहा है कि श्वेत पत्र के जरिए बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जीत की तैयारी पूरी करने की कोशिश की है. कहा जा सकता है कि यह श्वेत पत्र बीजेपी के लिए किसी मास्टरस्ट्रोक से कम नहीं होगा. इस श्वेत पत्र में इस बात का जिक्र होगा कि कैसे वर्तमान सरकार ने बैंकों की सेहत सुधारने के लिए रिफॉर्म किए और निवेशकों का भरोसा लौटाया. इस श्वेत पत्र में इस बात की भी जानकारी होगी कि कैसे यूपीए की सरकार की अपेक्षा NDA सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाया है और वित्तीय घाटे को कम करने की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं.
गौरतलब है कि देश के नागरिकों ने एक ऐसा भी समय देखा था जब भारत को ‘नाजुक पांच अर्थव्यवस्थाओं’ में गिना जाता था. आज दुनिया के सामने सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. देश का बैंकिंग सेक्टर मजबूत स्थिति में है. देश में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. जब दुनिया की अर्थ व्यवस्था काफी धीमी रफ्तार में है. ठीक इसके इतर भारतीय अर्थव्यवस्था के 7% से ज्यादा की स्पीड से बढ़ने की उम्मीद है. अनुमान है कि 2030 तक भारत 7 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है.
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