लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक पत्र के माध्यम से आचार्य प्रमोद कृष्णम को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने शालीनता और सौहार्द का परिचय देते हुए आचार्य के कार्यों की सराहना की गई है. इस पत्र के जवाब में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी शुभकामनाओं के लिए कोटिशः आभार और साधुवाद व्यक्त किया. यह घटना न केवल भारतीय राजनीति और आध्यात्मिक जगत के बीच एक सकारात्मक संवाद को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों के लोग एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सद्भावना का भाव रख सकते हैं.
अपने पत्र में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आचार्य प्रमोद कृष्णम के सामाजिक और धार्मिक कार्यों की प्रशंसा की. उन्होंने लिखा कि आचार्य द्वारा किए गए कार्य, विशेष रूप से भगवान विष्णु श्री कल्कि धाम मंदिर के निर्माण में उनकी भूमिका, न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देती है. ओम बिरला ने यह भी उल्लेख किया कि आचार्य का यह प्रयास भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है. उन्होंने इस पुनीत कार्य के लिए आचार्य को शुभकामनाएं दीं और आशा व्यक्त की कि यह मंदिर आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनेगा. पत्र में ओम बिरला ने यह भी कहा कि ऐसे प्रयासों से समाज में सकारात्मकता फैलती है और विभिन्न समुदायों के बीच आपसी समझ बढ़ती है. उन्होंने आचार्य से इस दिशा में और अधिक कार्य करने का आग्रह किया, ताकि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को और मजबूती मिले.
आचार्य प्रमोद कृष्णम की प्रतिक्रिया
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ओम बिरला के इस पत्र का जवाब देते हुए अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष जैसे सम्मानित पद पर आसीन व्यक्ति से इस तरह की प्रशंसा और शुभकामनाएं प्राप्त करना उनके लिए गर्व की बात है. आचार्य ने अपने जवाब में लिखा, “श्री कल्कि धाम मंदिर के संदर्भ में निमंत्रण हेतु कोटिशः आभार व्यक्त करता हूँ. भगवान श्री विष्णु के अवतार श्री कल्कि धाम मंदिर की स्थापना में आपकी शुभकामनाएं और साधुवाद मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.” आचार्य प्रमोद कृष्णम ने यह भी कहा कि ओम बिरला का यह पत्र उनके लिए एक प्रेरणा है और वे इस दिशा में और अधिक समर्पण के साथ कार्य करेंगे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं होगा, बल्कि यह समाज में नैतिकता, सत्य और प्रेम के मूल्यों को बढ़ावा देगा.
इस घटना का व्यापक संदेश
यह पत्राचार भारतीय समाज में विभिन्न क्षेत्रों के बीच संवाद और सहयोग की एक मिसाल पेश करता है. एक ओर जहां ओम बिरला भारत की संसदीय परंपरा के शीर्ष पर हैं, वहीं आचार्य प्रमोद कृष्णम आध्यात्मिक और धार्मिक क्षेत्र में अपनी पहचान रखते हैं. इन दोनों व्यक्तियों का एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सकारात्मक दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि कैसे राजनीति और आध्यात्मिकता, जो प्रायः अलग-अलग क्षेत्र माने जाते हैं, एक साझा उद्देश्य के लिए एकजुट हो सकते हैं. यह घटना यह भी दिखाती है कि भारतीय संस्कृति में सौहार्द और सम्मान की भावना कितनी गहरी है. ओम बिरला का पत्र न केवल आचार्य के कार्यों की सराहना करता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि समाज के सभी वर्गों को एक-दूसरे के प्रयासों का सम्मान करना चाहिए. यह एक ऐसा उदाहरण है जो हमें यह सिखाता है कि विभिन्न विचारधाराओं और क्षेत्रों के बीच संवाद और सहयोग से ही समाज आगे बढ़ सकता है.
पत्र में उल्लिखित श्री कल्कि धाम मंदिर का विशेष महत्व है. यह मंदिर भगवान विष्णु के दसवें अवतार, कल्कि भगवान, को समर्पित है, जिनके बारे में हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि वे कलियुग के अंत में अवतरित होंगे और धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे. आचार्य प्रमोद कृष्णम इस मंदिर के निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल हैं और इसे एक ऐसे केंद्र के रूप में देखते हैं जो आध्यात्मिक जागृति के साथ-साथ सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देगा. यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है. आचार्य का यह प्रयास भारतीय समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और ओम बिरला का पत्र इस प्रयास को और बल देता है.