Lucknow News: समाज के एक रहने पर ही सनातन की रक्षा संभव: डॉ. दिनेश शर्मा

Divya Rai
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Lucknow News: लखनऊ में ब्राह्मण संगठनों द्वारा आयोजित विशाल ब्राह्मण महाकुम्भ का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद व उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा मुख्य अतिथी के रूप में शामिल हुए. इस दौरान सांसद ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया. सनातन धर्म पर बात करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि समाज के एक रहने पर सनातन की रक्षा संभव है. बंटने से नहीं बल्कि मिलकर चलने से देश का भी कल्याण संभव है. देश की रक्षा के लिए सभी को एक साथ आगे बढ़ना होगा.

विशाल ब्राह्मण महाकुम्भ को संबोधित करते हुए डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि समय का परिवर्तन हुआ है और सामाजिक दिशा बदलाव के चलते ब्रह्म समाज कभी कभी बिना किसी कारण के आलोचना का पात्र बन जाता है. लोगों को ब्राह्मण समाज के बारे में टिप्पणी करने से पहले उसे जानने की जरूरत है. असल में ब्राह्मण जाति नहीं बल्कि एक श्रेष्ठ जीवन जीने के प्रवाह का नाम है. यह त्याग तपस्या बलिदान और संस्कार का प्रतीक है. यह अपने लिए नहीं बल्कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए समर्पित है जो अपने देवी देवताओं का सम्मान चाहता है. उन्होंने कहा कि यह ऐसा वर्ग है जो इंसान के जन्म से लेकर अन्त समय तक उसके लिए मंगलकामना करता है. केवल ब्राह्मण को सदाकारी गुणों के कारण ही देवता कहा गया है.

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि जो अध्ययन अध्यापन करे तथा शास्त्रों का ज्ञान रखे व विद्वत हो, भिक्षाटन करके विद्या का दान दे वह ब्राह्मण है. इसने राजा को बनाया और बिगाड़ा भी है. इसने व्यवस्था को ठीक करने का काम किया है. उसके लिए प्राणियों में सद्भाव, मानव का कल्याण ही सर्वोपरि है. उसके लिए सनातन ही व्यवस्था है जहां जीव जंतु के कल्याण की बात के साथ ही तुलसी को भी माता कहा गया है.

डॉ. शर्मा का कहना था कि सनातन को मानने वाला कभी हिंसक नहीं होता है. इतिहास में किसी हिन्दू के आक्रान्ता होने का कोई उदाहरण नहीं है. यह आक्रमणकारी नहीं है पर अगर किसी ने छेड़ा है तो छोड़ा भी नहीं है. देश में कई आक्रान्ता आए और उन्होंने देश को लूटा था. इसका कारण लोगों के बीच में मतभेद का होना था जिसका आक्रान्ताओं ने लाभ लिया था. आज अगर इतिहास को देखें तो आक्रान्ताओं का इतिहास तो मौजूद है पर राणा सांगा और महाराणा प्रताप जैसे वीरों का विस्तृत इतिहास कही पर नहीं है क्योंकि देश के इतिहास को भी विदेशियों ने ही लिखा है और उन्हें बांटने के लिए जाति के अंदर जाति भी विदेशियों ने बनाई हमारे धर्म शास्त्रों ने नहीं.

सांसद ने कहा कि ब्राह्मण सनातन के संरक्षण के साथ ही समाज को जोड़ने का कार्य भी करता है. उसने हर सामाजिक कार्य से समाज के हर वर्ग को जोड़ा है. इसलिए ही ब्राह्मण आक्रान्तों की कुदृष्टि का शिकार बना है. उसकी शिखा जनेऊ आदि काटे गए पर उसने सनातन और समाज के कल्याण का धर्म नहीं छोड़ा था. आक्रान्ताओं को पता था कि अगर ब्राह्मण को समाप्त कर लिया तो भारत के शास्त्र नष्ट हो जाएंगे. इसके लिए नालन्दा और तक्षशिला जैसे केन्द्र भी आग के हवाले कर दिए गए पर ब्राह्मणों ने उन शास्त्रों को कंठस्थ करके उसे दोबारा से लिख दिया. उन्होंने कहा कि समाज के इस वर्ग ने अत्याचार सहने के बावजूद अपना आवरण और संस्कार नहीं बदले तथा सनातन पर चोट नहीं आने दी. अंग्रेजों ने समाज को बांटने के साथ ही लोगों को आपस में लड़ाने का कार्य किया था.

परिवार को आधार बताते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हर परिवार में बच्चें को संस्कार दिए जाएं. ब्राह्मण को काटों बांटो की संस्कृति से दूर रहना चाहिए. जन्मदिन पर केक काटने के स्थान पर पुरानी पद्धति से गुलगुले और लड्डू बंटना चाहिए भगवान का पूजन कथा और रामायण पाठ करना चाहिए. दीपक जलाना चाहिए जिससे जीवन में प्रकाश आए. उन्होंने कहा कि पाश्चात्य और भारत की संस्कृति में अन्तर है कि वह बांटने की है और भारत की संस्कृति एक करने की है. हमारी संस्कृति मिलकर रहने का संदेश देती है. समाज में पाश्चात्य संस्कृति हावी होती जा रही है जो शुभ संकेत नहीं है. उन्होंने कहा कि बदलाव कैसा है कि पहले के समय में अगर बच्चे के कपड़े फट जाए तो मां को रोना आता था और आज के समय में बच्चे को पाश्चात्य संस्कृति के अनुरूप अगर फटे कपड़े नहीं मिले तो भी मां दुखी होती है. आज विदेश में रहने वाले हरे राम हरे कृष्ण कर रहे हैं वहीं हम हाय हेलो की संस्कृति को अपना रहे हैं.

मंच पर उपस्थित संतो का नमन करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि संत के बारे में कहा गया है कि जहां संत है वहां बसंत है और जहां बसंत है वहीं पर दुखों का अन्त और सुख का प्रारंभ है. इसलिए समाज को संतो के दिखाए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए. बता दें कि इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश उत्तराखंड दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश के भारी संख्या में ब्राह्मण संगठनों के प्रतिनिधियों एवं साधु संतों ने भाग लिया.

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