Mahakumbh Mega Conclave Live Updates: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में महाकुंभ की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. 13 जनवरी से 25 फरवरी, 2025 तक प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन ‘महाकुंभ’ आयोजित किया जाएगा. भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क प्रयागराज में आज ‘महाकुंभ: माहात्म्य पर महामंथन’ मेगा कॉन्क्लेव का आयोजन कर रहा है, इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस दौरान उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेंद्र राय ने दीप प्रज्ज्वलित कर कॉन्क्लेव का शुभारंभ किया.
सीएमडी उपेंद्र राय ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का किया स्वागत
कॉन्क्लेव के दौरान भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेंद्र राय ने बुके देकर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का स्वागत करते हुए कहा कि ब्रजेश पाठक जी उपमुख्यमंत्री हैं ये तो हम सभी जानते हैं, लेकिन इनका एक परिचय मैं हमेशा महसूस करता हूं कि कितने विनम्र और कितने बड़े मन के इंसान हैं. ये बात मैं अनुभव से कह रहा हूं कि इनको जानते हुए बहुत लंबा अरसा हो गया. सीएमडी ने कहा कि जब मैं लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ने आया था, तब ये पढ़कर जा चुके थे. लेकिन तभी भी इनकी यूनिवर्सिटी में लंबी चौड़ी फॉलोइंग थी.
उपमुख्यमंत्री के सम्मान में सुनाया शेर
इन्होंने बहुत कम उम्र में राजनीति में बड़े पदों पर काम किया. ये सांसद भी रहे विधायक भी रहे और मंत्री भी हैं. तो कहने का मतलब ये है कि एक व्यक्ति के अंदर जब इतने गुण, इतने पद और इतना सम्मान मिलता है तो समझिए कि उसका आंचल बहुत बड़ा होगा. सीएमडी उपेंद्र राय ने उपमुख्यमंत्री के सम्मना में एक गुमनाम शायर का शेर भी सुनाया. उन्होंने कहा, ‘चित्ति चित्ति दिन बिता और धज्जी धज्जी रात गई, जिसका जितना आँचल था था उसको उतनी सौगात गई. ‘ सीएमडी ने आगे कहा कि बेशक मैं तो मानता हूं कि जो भारत देश में राजनीति में कदम रखने वाले लोगों की उम्र का जो आंकड़ा है वो अभी युवा केटेगरी में आता है. तो अभी उपमुख्यमंत्री ने उस युवा केटेगरी की सीमा को पार नहीं किया है. अभी तो ये शुरुआत है. देखिए आगे कहां तक परमात्मा ले जाते हैं और भारत एक्सप्रेस परिवार की व्यक्तिगत रूप से मेरी हमेशा ब्रजेश पाठक जी के लिए शुभकामनाएं रहेंगी कि ये दिन दूना रात चौगुना तरक्की करें आगे बढ़ें और ऐसे ही नैतृत्व देते रहें. बहुत ही सीधा सादा सरल व्यक्तिग के स्वामी हैं ब्रजेश जी. इनके लिए मैं और क्या कहूं शब्द कम पड़ गए.