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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
प्रयागराज में ‘ब्रह्मकुमारीज स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ 2025’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन सेक्टर 7 कुंभ मेला क्षेत्र बजरंगदास मार्ग प्रयागराज में हुआ. कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी उपेन्द्र राय ने शिरकत की. इस दौरान ब्रह्मकुमारीज बहनों ने अंगवस्त्र देकर उनका स्वागत किया. इस कार्यक्रम में चैतन्य देवियों की झांकी होलोग्राफिक डिस्प्ले, लेजर शो आदि चीजें हुईं, जो प्रयागराज कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की बेहतरी के लिए लगाया गया.
हमने किसी मंसूर और फरीद को फांसी नहीं लगाई : सीएमडी उपेन्द्र राय
इस दौरान भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा कि हिंदू धर्म से उदार धर्म पृथ्वी पर अब तक कोई भी नहीं हुआ है. हमने किसी मंसूर और किसी फरीद को फांसी नहीं लगाई. हमने किसी पर पत्थर नहीं फेंके. हालांकि हमारे मन को थोड़ा हताशा निराशा हुई, कोई संप्रदाय या उपधर्म आ गया, लेकिन हमने किसी को फांसी पर नहीं चढ़ाया. हमने उसको गले लगाया और सम्मान दिया. असहमत रहते हुए भी उसे सहमति दिखाई. शंकराचार्य भगवान बुद्ध के बहुत विरोधी थे, लेकिन शंकराचार्य ने बुद्ध के बारे में जो विमर्श और चीजें लिखी हैं शायद वैसा विरोधी स्वभाव का होते हुए भी किसी दूसरे ने ऐसा नहीं लिखा.
सभी धर्म सनातन का हिस्सा: सीएमडी उपेन्द्र राय
इतिहास के हिसाब से सनातन धर्म करीब करीब 11,000 साल पुराना धर्म है. सनातन धर्म के सामने कई धर्म पैदा हुए. बौद्ध, जैन या कोई धर्म हो, यह धर्म भारत भूमि से पैदा हुए. इस्लाम 1400 साल पुराना धर्म है, इसी तरह से ढाई हजार- 3000 साल पुराना धर्म है यहूदी. यह सभी धर्म स्वर्ग नरक की सीढ़ियों तक जाकर फंस गए, लेकिन पूरी पृथ्वी पर सनातन धर्म ही केवल मोक्ष की बात करता है. इसके पीछे भी बड़ा कारण था, क्योंकि सनातन धर्म को जो समय और गहराई मिली, वैसी समय की गहराई और लंबाई किसी और धर्म को नहीं मिली. जिन धर्म का उदय हुआ है उन्हें गहराई में जाकर देखें तो वह सभी सनातन धर्म के हिस्से हैं.
जब इस्लाम का जन्म भी नहीं हुआ, तब से कुंभ हो रहा है
आज प्रयागराज में बात चल रही है कि वक्फ बोर्ड की जमीन महाकुंभ में है. इसको लेकर भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा कि जब इस्लाम का जन्म भी नहीं हुआ था, तब से कुंभ हो रहा है इस धरती पर. इस दौरान एक शेर के माध्यम से उन्होंने अपनी बात रखी, “सिर पर टोपी, गले में क्रॉस, माथे पर तिलक लगाती है, प्रयाग में सियासत भी संगम नहाती है.”