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Mann Ki Baat 120th Episode: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 30 मार्च को ‘मन की बात’ के 120वें एपिसोड में जल संरक्षण को देश के लिए जरूरी बताया. इस दौरान उन्होंने देशभर में जलशक्ति मंत्रालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों की चर्चा की और जल संरक्षण के महत्व को समझाया. उन्होंने कहा, गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर-शहर, गांव-गांव, पानी बचाने की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं. अनेक राज्यों में वाटर हार्वेस्टिंग से जुड़े कामों ने, जल संरक्षण से जुड़े कामों ने नई तेजी पकड़ी है. जलशक्ति मंत्रालय और अलग-अलग स्वयंसेवी संस्थाएं इस दिशा में काम कर रही हैं.
जल संरक्षण के उपायों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, देश में हजारों कृत्रिम तालाब, चेक डेम, बोरवेल रिचार्ज, कम्युनिटी सॉक पिट का निर्माण हो रहा है. हर साल की तरह इस बार भी ‘कैच द रेन’ अभियान के लिए कमर कस ली गई है. ये अभियान भी सरकार का नहीं, बल्कि समाज का है, जनता-जनार्दन का है. उन्होंने जल संचय जन-भागीदारी अभियान को भी महत्वपूर्ण बताया और कहा कि यह प्रयास है कि जो प्राकृतिक संसाधन हमें मिले हैं, उसे हमें अगली पीढ़ी तक सही सलामत पहुंचाना है.
पीएम मोदी ने उदाहरण के तौर पर बताया कि कैसे बारिश की बूंदों को संरक्षित कर पानी बर्बाद होने से बचाया जा सकता है. उन्होंने कहा, पिछले कुछ सालों में इस अभियान के तहत देश के कई हिस्सों में जल संरक्षण के अभूतपूर्व कार्य हुए हैं. मैं आपको एक दिलचस्प आंकड़ा देता हूं, पिछले 7-8 साल में नए बने टैंक, तालाब और अन्य जल रिचार्ज संरचनाओं से 11 बिलियन क्यूबिक मीटर उससे भी ज्यादा पानी का संरक्षण हुआ है. पीएम मोदी ने इस आंकड़े को समझाते हुए कहा, अब आप सोचेंगे कि 11 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी कितना पानी होता है? उन्होंने आगे कहा कि भाखड़ा नांगल बांध में जो पानी जमा होता है, उसकी तस्वीरें तो आपने जरूर देखी होंगी. ये पानी गोविंद सागर झील का निर्माण करता है.
इस झील की लंबाई ही 90 किलोमीटर से ज्यादा है. इस झील में भी 9-10 बिलियन क्यूबिक मीटर से ज्यादा पानी संरक्षित नहीं हो सकता है और देशवासियों ने अपने छोटे-छोटे प्रयास से, देश के अलग-अलग हिस्सों में 11 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी के संरक्षण का इंतजाम कर दिया है – है ना ये शानदार प्रयास! पीएम मोदी ने कर्नाटक के गडग जिले के लोगों के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा, कुछ साल पहले यहां के दो गांव की झीलें पूरी तरह सूख गईं. एक समय ऐसा भी आया जब वहां पशुओं के पीने के लिए भी पानी नहीं बचा। धीरे-धीरे झील घास-फूस और झाड़ियों से भर गई. लेकिन, गांव के कुछ लोगों ने झील को पुनर्जीवित करने का फैसला किया और काम में जुट गए.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि गांव के लोगों के प्रयासों को देखकर आसपास की सामाजिक संस्थाएं भी उनसे जुड़ गईं. सब लोगों ने मिलकर कचरा और कीचड़ साफ किया और कुछ समय बाद झील वाली जगह बिल्कुल साफ हो गई. अब लोगों को बारिश के मौसम का इंतजार है. उन्होंने इस उदाहरण को ‘कैच द रेन’ अभियान का एक शानदार उदाहरण बताया. उन्होंने कहा, आप भी सामुदायिक स्तर पर ऐसे प्रयासों से जुड़ सकते हैं. इस जन-आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए आप अभी से योजना जरूर बनाइए और आपको एक और बात याद रखनी है- हो सके तो गर्मियों में अपने घर के आगे मटके में ठंडा जल जरूर रखिए. घर की छत पर या बरामदे में भी पक्षियों के लिए पानी रखिए. देखिएगा, ये पुण्य कार्य करके आपको कितना अच्छा लगेगा.