MARS News: हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की सतह पर तीन क्रेटर्स (गड्ढे) खोजे हैं. इन क्रेटर्स के नाम उत्तर प्रदेश के भौतिक विज्ञानी दिवंगत देवेंद्र लाल, हाथरस के कस्बे मुरसान और बिहार के एक कस्बे हिलसा के नाम पर रखा गया है. अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने इन नामों को हरी झंडी दिखा दी है. बता दें कि इन गड्ढों की खोज अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने की है.
यह खोज वैज्ञानिकों की एक टीम ने की थी, जिसमें भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के रिसर्चर्स शामिल थे. भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग की इकाई पीआरएल के निदेशक अनिल भारद्वाज के अनुसार, ये नाम अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के मुताबिक रखे गए हैं. ये क्रेटर्स मंगल के थारिस क्षेत्र में हैं, जो ज्वालामुखियों से भरा हुआ है. थारिस क्षेत्र मंगल ग्रह के पश्चिमी गोलार्ध में भूमध्य रेखा के पास केंद्रित विशाल ज्वालामुखीय पठार है.
जब क्रेटर्स को नाम देने की बारी आई तो उत्तर प्रदेश के मुरसान और बिहार के हिलसा कस्बों के नाम चुने गए. सबसे बड़े क्रेटर के लिए डॉ. देंवेंद्र लाल का नाम चुना गया. पीआरएल की सिफारिश पर अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने तीनों क्रेटरों को लाल क्रेटर, मुरसान क्रेटर और हिलसा क्रेटर के प्रस्ताव को मान ली.
लाल क्रेटर
यह क्रेटर 65 किलोमीटर चौड़े है. इसका नाम फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) के पूर्व निदेशक प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र लाल के नाम पर रखा गया है. देवेंद्र लाल वाराणसी में जन्में था. उन्होंने बीएचयू और बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक किया था. वे 1972 से 1983 के बीच पीआरएल के निदेशक रहे. देवेंद्र लाल की गिनती भारत के प्रमुख कॉस्मिक रे भौतिक वैज्ञानिकों में की जाती है.
मुरसान क्रेटर
10 किलोमीटर चौड़ा यह क्रेटर लाल क्रेटर के पूर्वी रिम पर मौजूद है. इसका नाम यूपी के मरदह के कस्बे मुरसान पर रखा गया है. इस कस्बे में पीआरएल के वर्तमान निदेशक डॉ. अनिल भारद्वाज का जन्म हुआ था. डॉ. भारद्वाज देश के प्रतिष्ठित स्पेस साइंटिस्ट हैं.
हिलसा क्रेटर
10 किलोमीटर चौड़ा लाल क्रेटर के पश्चिमी रिम के नजदीक मौजूद क्रेटर का नाम हिलसा रखा गया है. इसका नाम बिहार के कस्बे हिलसा पर पड़ा है. हिलसा में पीआरएल के वैज्ञानिक डॉ. राजीव रंजन भारती का जन्म हुआ था. डॉ. रंजन भारती उस टीम सें संबंध रखते हैं, जिसने इन क्रेटर्स की खोज की है.
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