Modi Oath Ceremony: आज नरेंद्र मोदी का ओथ सेरेमनी, जानें प्रधानमंत्री क्यों दो बार लेते हैं शपथ

Raginee Rai
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Modi Oath Ceremony: आज, 09 जून 2024 को  राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेता नरेंद्र मोदी शाम में अपने तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. उनके साथ ही एनडीए गठबंधन के कई सांसद और केंद्रीय मंत्री भी पद की शपथ ग्रहण करेंगे. इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने के लिए देश-दुनिया से बड़े नेता एवं मेहमान दिल्ली आए हुए हैं. क्‍या आपके मन में कभी यह विचार आया कि आखिरकार शपथ ग्रहण समारोह इतना अहम क्‍यों है. प्रधानमंत्री दो बार शपथ क्यों लेते हैं? और शपथ में क्या बोलते हैं. आज के इस खबर में हम आपको इससे जुड़े हुए नियम बताएंगे.

शपथ क्यों जरूरी?

संविधान के अनुसार, प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायकों को पदभार ग्रहण करने से पहले भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा रखने की शपथ उठानी होती है. ऐसा ना करने पर जनप्रतिनिधि किसी भी सरकारी काम में शामिल नहीं हो सकते हैं. इसके अलावा बिना शपथ के उन्हें सदन में सीट भी आबंटित नहीं होती और ना ही उन्हें सदन में बोलने का अधिकार होता है. आसान भाषा में कहे तो वो निर्वाचित जरूर हुए लेकिन सांसद नहीं माने जाएंगे.

किस बात की शपथ लेते हैं?

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, पंच-सरपंच और सरकारी सेवा के लिए पद की गरिमा बनाए रखने, ईमानदारी एवं निष्पक्षता से काम करने और हर हाल में देश की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ दिलाई जाती है. शपथ की प्रकिया हिंदी, अंग्रेजी सहित किसी भी भारतीय भाषा में कराई जा सकती है.

मंत्रीपद की शपथ

सांसद और विधायक पद की गरिमा बनाए रखने की शपथ ग्रहण करते हैं. इसमें ईमानदारी और निष्पक्षता से काम करने, हर हाल में देश की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने की प्रतिज्ञा होती है. केंद्र एवं राज्य में मंत्री पद पर नियुक्त होने वाले सांसद और विधायक गोपनीयता की शपथ लेते हैं.

भारत में प्रधानमंत्री को लेनी पड़ती हैं दो शपथ 

सबसे खास बात ये है कि शपथ संसद के सदस्यों, सुप्रीम कोर्ट के जजों, पंच-सरपंच और अन्‍य सरकारी सेवा के लिए पद की सिर्फ एक बार ही ओथ लेनी पड़ती है, लेकिन प्रधानमंत्री को दो बार शपथ लेना पड़ता है. जानकारी के अनुसार, भारत के प्रधानमंत्री पहले पद ग्रहण करने की शपथ लेते हैं. इसके बाद गोपनीयता से जुड़ी दूसरी शपथ लेते हैं.

प्रधानमंत्री पद की शपथ

मैं <नाम> ईश्वर की शपथ लेता हूं, कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा. मैं भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा. मैं संघ के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक एवं शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा. तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा.

गोपनीयता की शपथ

मैं <नाम> ईश्‍वर की शपथ लेता हूं कि जो विषय संघ के प्रधानमंत्री/मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा, उसे किसी भी व्यक्ति या व्‍यक्तियों को तब के सिवाय जबकि प्रधानमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के संवहन निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो. मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा.

लोकसभा में क्या होती है शपथ?

मैं  <नाम> जो लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हुआ हूं, ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा. मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूं, उसके कर्तव्यों का श्रद्धा पूर्वक निर्वहन करूंगा.

संविधान में शपथ के नियम

प्रधानमंत्री को अनुच्छेद 75 के अनुसार, राष्ट्रपति के सामने शपथ ग्रहण करना होता है. शपथ के लिए एक निर्दिष्ट शपथ पत्र का पालन किया जाता है, जिसे प्रधानमंत्री पढ़ते हैं और स्वीकार करते हैं. शपथ के बाद एक आधिकारिक प्रमाण पत्र भी घोषित किया जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री की शपथ लेने की तारीख और समय दिया रहता है. इस पर प्रधानमंत्री हस्ताक्षर भी करते हैं.

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