हिंदुओं को एकजुट और सशक्त होने की जरूरत, RSS की स्थापना दिवस पर बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Mohan Bhagwat said on Vijayadashami: आज देश भर में विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा है. आज के खास दिन पर आरएसएस मुख्यालय नागपुर के रेशम बाग में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन किया. इसके बाद उन्होंने आरएसएस के कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया.

आज राष्ट्रीय स्वयं संघ के 99 साल पूरे हुए हैं. इस विशेष अवसर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. हमेशा चुनौती तो रहती ही है. भविष्य कई नई सुविधाएं लेकर आएगा. वैश्विक स्तर पर इजरायल के युद्ध कि चिंता सभी को लगी है. अपना देश आगे बढ़ रहा है. सभी क्षेत्र में भारत आगे बढ़ रहा है.

भारत की साख और प्रतिष्ठा बढ़ी

इस कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का चुनाव शांति पूर्वक हो गया है, इस वजह से देश की साख और प्रतिष्ठा और बढ़ी है. शासन और युवाओं के द्वारा देश कई क्षेत्र में आगे जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि अभी और भी चुनौतियों से आगे सामना होगा.

बांग्लादेश के हिंदुओं पर क्या बोले भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बांग्लादेश के हिंदुओं पर भी अपनी बातों को रखा. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हुए उत्पात के कारण हिंदू समाज में जो अत्याचार हो रहे हैं. यह अत्याचार बार-बार दोहराए जा रहे हैं. वहां (बांग्लादेश) सभी हिंदू एक साथ आए जिस कारण सभी बच गए.

संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि हमारे पड़ोसी बांग्लादेश में जो हुआ? उसके कुछ तात्कालिक कारण हो सकते हैं, लेकिन जो लोग चिंतित हैं. वे इस पर चर्चा करेंगे. उस अराजकता के कारण हिंदुओं पर अत्याचार करने की परंपरा वहां दोहराई गई. पहली बार हिंदू एकजुट हुए और अपनी रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे.

पूरी दुनिया के हिंदू करें मदद

मोहन भागवत ने कहा कि जब तक गुस्से में आकर अत्याचार करने की यह कट्टरपंथी प्रकृति होगी. तब तक न केवल हिंदू बल्कि सभी अल्पसंख्यक खतरे में होंगे. उन्हें पूरी दुनिया के हिंदुओं से मदद की जरूरत है. यह उनकी जरूरत है कि भारत सरकार उनकी मदद करे. कमजोर होना एक अपराध है. अगर हम कमजोर हैं, तो हम अत्याचार को आमंत्रित कर रहे हैं. हम जहां भी हैं, हमें एकजुट और सशक्त होने की जरूरत हैं.

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