NGT: दिल्‍ली की हवा में घुला जहर, एनजीटी ने मनोवैज्ञानिक प्रभाव की जांच कराने पर दिया जोर

National Green Tribunal: राजधानी दिल्ली में हवा दिन प्रतिदिन जहरीली होती जा रही है. यहां लोगों को सांस लेने में कई दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है. हर साल की तरह इस बार भी दिवाली से पहले ही एक्यूआई 400 के पार चला गया है. दिल्‍ली में वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार ने आज बैठक बुलाई है. जिसमें ग्रैप का तीसरा चरण को कड़ाई से लागू कराने को लेकर चर्चा की जाएगी.

दिल्‍ली की हवा का मनोवैज्ञानिक पहलू से जांच करने की आवश्‍यकता

वहीं, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) का कहना है कि दिल्ली के हवा की  गुणवत्ता में आई गिरावट की मनोवैज्ञानिक पहलू की जांच करने की आवश्‍यता है. इसके साथ ही केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय समेत विभिन्न सरकारी अधिकारियों और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक से जवाब मांगा है.

NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि मानव शरीर के विभिन्न अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क और भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को प्रभावित करने वाले वायु प्रदूषकों के प्रतिकूल प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त उपायों की आवश्‍यता है.

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पहले ही उठाया गया था वायु प्रदूषण का मुद्दा

वहीं, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की एनजीटी पीठ का कहना है कि न्यायाधिकरण ने पहले 20 अक्टूबर की एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली में वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाया था. उन्होंने बताया कि संबंधित विशिष्ट मुद्दा मस्तिष्क समेत शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव की अलग से जांच करने की आवश्‍यकता है.

अगली सुनवाई से पहले देना होगा जवाब

एनजीटी (National Green Tribunal) ने वायु प्रदूषण की वजह बनने वाली विभिन्न रासायनिक और भौतिक घटकों और मानव शरीर के विभिन्न अंगों पर उनके प्रतिकूल प्रभावों के व्यापक मुद्दे को भी मान्यता दी. एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, एम्स और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग समेत कई सरकारी अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. जिसके संबंध में इन अधिकारियों को 11 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले एनजीटी के समक्ष जवाब दाखिल करना होगा.

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