National Technology Day 2024: हर साल भारत में 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (National Technology Day) मनाया जाता है. यह दिन भारतीय इतिहास में बेहद खास है. आज ही के दिन भारत ने पोखरण में परमाणु टेस्ट किया था. इस परीक्षण के साथ ही भारत दुनिया के शक्तिशाली देशों में शामिल हो गया था. लेकिन अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों से बचते हुए सफलता को हासिल करना आसान नहीं था. इस परीक्षण का पूरा श्रेय उन तमाम इंजीनियर्स, सेना के अधिकारियों, वैज्ञानिकों के साथ भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पीएम के तत्कालीन मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है. जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया.
परमाणु परीक्षण
बता दें कि परमाणु परीक्षण पर आधारित फिल्म परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण बनाई गई है. अगर आपने इस फिल्म को देखा होगा तो आपको अंदाजा होगा कि ये टेस्ट इतना आसान नहीं था. राजस्थान के पोखरण में तीन परमाणु परीक्षण के बाद 11 मई को नेशनल टेक्नोलॉजी डे के रूप में मनाया जाता है. आज पोखरण की भूमि पर 11 मई 1998 को हुए परमाणु टेस्ट II को आज 26 साल पूरे हो चुके हैं. गौरतलब है कि पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास भारत ने तीन परमाणु परीक्षण किए थे. इस परमाणु टेस्ट को ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया था. न्यूक्लियल टेस्ट का कोड नेम शक्ति- न्यूक्लियर मिसाइल था.
एक के बाद एक हुए तीन विस्फोट
पोखरण में खेतोलाई से 5 किमी दूर फायरिंग रेंज में 1998 में आज ही के दिन एक के बाद एक तीन परमाणु परीक्षण हुए थे. ये विस्फोट इतना ताकतवर था कि इससे पूरा इलाका गूंज उठा था. आसमान की ओर विस्फोट का गुबार दिख रहा था. इसके बाद 13 मई को वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर टेस्ट किया था.
अमेरिका की पहरेदारी नहीं आई काम
तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी परमाणु टेस्ट के बाद धमाके वाली जगह पर गए थे. जब भारत ने दुनिया के सामने परमाणु शक्ति होने का ऐलान किया तब पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई थी, क्योंकि अमेरिका सहित किसी भी देश की खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी थी.
इस परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका के सीआईए एजेंसी ने कहा था कि भारत सरकार अमेरिका सहित दुनिया के तमाम खुफिया एजेंसियों को चकमा देने में कामयाब हुई थी. क्योंकि उस समय अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ((CIA) भारत पर पल-पल नजर बनाए रखती थी. इतना ही नहीं अमेरिका का खुफिया एजेंसी भारत की कड़ी पहरेदारी करने के लिए करोड़ों खर्च करके सैटेलाइट लगाई थी. फिर भी इन सभी चुनौतियों के बावजूद भारत ने पोखरण की धरती पर सफलतापूर्वक ऑपरेशन शक्ति को अंजाम दिया था.
पोखरण ही क्यों?
बहुत से लोगों का सवाल है कि आखिर सरकार ने टेस्ट के लिए पोखरण को ही क्यों चुना. दरअसल भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसी जगह को सेलेक्ट किया जहां आबादी न हो. इसलिए पोखरण को परमाणु परीक्षण के लिए चुना गया. परीक्षण के दौरान पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सहित सभी इंजीनियर्स और वैज्ञानिक सेना के यूनिफॉर्म में थे. सबका नाम और कोड अलग-अलग था. इतने संघर्षों के बाद देश 11 मई को दोपहर बाद 3:45 बजे परमाणु शक्ति वाला राष्ट्र बना था.
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