Neonatal Deaths: किसी भी परिवार में जब एक नन्हें मेहमान का आगमन होता है तो वह पल बेहद ही सुखद होता है. घर में खुशियां छा जाता है. परिवार के लिए ये पल किसी भी त्योहार से कम नहीं होता. पूरा परिवार खुशी से झूम उठता है. आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएंगे हर जगह आपको यहीं देखने को मिलेगा. लेकिन यह खुशी के लम्हे किसी के लिए मातम में भी बदल जाते हैं. ऐसा तब होता है जब एक बच्चा जन्म के बाद या कुछ ही दिन में इस दुनिया को अलविदा कह जाता है. एक नई रिसर्च दावा करती है कि भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की ज्यादातर मौतें शुरूआती 7 दिन से लेकर 11 महीने के बीच हो रही हैं.
जी हां,JAMA नेटवर्क ओपन में ये रिसर्च छपी है. यह स्टडी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के पांचों रिपोर्ट में दर्ज 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की 2.3 लाख से अधिक मौतों के एनालिसिस पर बेस्ड है. NFHS की पांचों रिपोर्ट के रिजल्ट 1993, 1999, 2006, 2016 और 2021 में जारी किए गए थे. स्टडी के अनुसार, 1993 और 2021 के बीच बच्चों की मृत्यु में सबसे अधिक कमी देखी गई. जहां 1993 में 1,000 बच्चों पर 33.5 बच्चों की मौत होती थी वो 2021 में कम होकर 1000 बच्चों पर 6.9 पर आ गई.
कैसे की गई है रिसर्च?
रिसर्चर्स ने बाल मृत्यु दर को चार में बांटा है. अर्ली नियोनेटल यानी बच्चे के जन्म के पहले 7 दिन, लेट नियोनेटल यानी बच्चें के जन्म के पहले 8-28 दिन, पोस्ट नियोनेटल यानी बच्चे के जन्म के पहले 29 दिन से 11 महीने और शिशु 12-59 महीने. उन्होंने अध्ययन में पाया कि अर्ली नियोनेटल में हर 1,000 पर पहले 33.5 मौत होती थी, लेकिन इसमें कमी आई और ये 20.3 तक पहुंच गई है. लेट नियोनेटल में हर 1,000 पर 14.1 से 4.1 मृत्यु दर में गिरावट आई है. नवजात शिशु के बाद हर 1,000 पर 31.0 से 10.8 मृत्यु में मृत्यु दर में कमी आई.
शोधकर्ताओं के अनुसार, समय के साथ मृत्यु दर का बोझ कम हो गया है. 2016 से 2021 तक कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सभी स्टेजेस के दौरान मृत्यु दर की स्थिति खराब है और यदि ये पैटर्न जारी रहता है तो ये राज्य और केंद्र शासित प्रदेश संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (SDG) को पूरा नहीं कर पाएंगे.
क्या है संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी में 2030 तक पहले 5 सालों में मृत्यु दर को कम करके प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 25 मौतें और पहले 28 दिनों में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 12 मौतों को कम करना शामिल है. हार्वर्ड, टोरंटो विश्वविद्यालय और आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने अलग-अलग लक्ष्य रखें हैं. 21 राज्य 2021 में अर्ली नियोनेटल मृत्यु दर को हर 1000 जन्मों पर 7 तक कम करने के लक्ष्य के पूरा नहीं कर पाए.
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