प्रगति की राह पर भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र, 10 वर्षों में बजट आवंटन में जबरदस्त वृद्धि दर्ज : केंद्रीय मंत्री

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) ने शुक्रवार को पूर्वोत्तर भारत में 2014 के बाद से हुए ऐतिहासिक बदलावों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, परिवहन, शिक्षा और जैविक खेती के क्षेत्र में बड़ी प्रगति हुई है, जिससे यह क्षेत्र विकास का एक प्रमुख केंद्र बन गया है.

बजट आवंटन में भारी वृद्धि

पूर्वोत्तर में बजट आवंटन में नाटकीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें परिव्यय में 300% से अधिक की वृद्धि हुई है – 2014 में 36,108 करोड़ रुपये से वित्त वर्ष 2023-24 में 94,680 करोड़ रुपये तक. यह वित्तीय बढ़ावा इस क्षेत्र में विकास संबंधी अंतर को पाटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.

सड़क और रेल कनेक्टिविटी में सुधार

सड़क और रेलवे के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है. राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या 2014 में 80 से बढ़कर 2023 में 103 हो गई है. इसके अलावा, क्षेत्र में 4,016 किमी से अधिक सड़क परियोजनाओं पर काम जारी है, जिससे न केवल कनेक्टिविटी में सुधार हो रहा है. बल्कि, आर्थिक अवसर भी बढ़ रहे हैं. रेलवे ने ब्रॉड-गेज लाइनों का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा कर लिया है, जो अधिक स्थिरता और दक्षता प्रदान करता है.

हवाई परिवहन का विस्तार

पिछले एक दशक में पूर्वोत्तर में हवाई अड्डों की संख्या 17 तक पहुंच गई है, जिससे क्षेत्र में कनेक्टिविटी और पर्यटन को बढ़ावा मिला है. साप्ताहिक उड़ानों में 113 प्रतिशत की वृद्धि से व्यापार और पर्यटन को प्रोत्साहन मिला है.

शिक्षा और कृषि में विकास

शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है. विश्वविद्यालयों की संख्या में 39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. वहीं, जैविक खेती के क्षेत्र में 1.55 लाख हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया गया है, जिससे टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिला है.

डिजिटल क्रांति और जलमार्गों का पुनरुद्धार

डिजिटल समावेशन में सुधार करते हुए 4G सेवाओं को लगभग पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में पहुंचाया गया है, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी संभव हो सकी है. साथ ही, क्षेत्र के नदी नेटवर्क को पुनर्जीवित किया गया है, जिससे आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल परिवहन साधनों का विकास हो रहा है. पूर्वोत्तर भारत अब मजबूत बुनियादी ढांचे, बेहतर कनेक्टिविटी, शिक्षा और कृषि क्षेत्र में उन्नति के साथ देश के समग्र विकास मॉडल का प्रतीक बन चुका है. यह परिवर्तन क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में एक बड़ी छलांग है.

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