प्रति वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी पर्व खुशियों के साथ मनाया जाता है. इस पर्व पर भगवान श्री गणेश की पूजा-पाठ विधि विधान के साथ की जाती है और माना जाता है कि जो भी भक्त इस दिन पूजा-पाठ करता है, उसकी मनकोमना जरूर पूरी होती है और उसे सुख समृद्धि भी प्राप्त होती है. इस दिन को भगवान श्री गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है.
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की मची धूम
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की धूम मची हुई है. इस बार उत्सव के दौरान गणपति की इको फ्रेंडली मूर्तियां देखने को मिल रही हैं. बड़ी संख्या में लोग अपने घरों पर बप्पा की ऐसी ही मूर्ति की बुकिंग कर रहे हैं. इस तरीके की मूर्तियों का क्रेज इस बार बड़े गणपति मंडलों में भी देखने को मिल रहा है. बाजारों में इको फ्रेंडली गणपति की मूर्तियों की मांग 50% से ज्यादा देखी जा रही है.
बाजारों में खूब बिक रही गणपति की इको फ्रेंडली मूर्तियां
वहीं, अगर पॉप गणपति की बात करें, तो वह भी बाजार में खूब बिक रही है. लेकिन, इस बार इको फ्रेंडली गणपति पर ज्यादा फोकस इसलिए किया जा रहा है की मुंबई के पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त किया जा सके. सबसे अहम बात ये है कि इको फ्रेंडली गणपति की मूर्ति को लोग अपने घर पर भी विसर्जित करके इसकी मिट्टी से पौधे उगा सकते हैं. महाराष्ट्र में 11 दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव में दिसंबर माह से ही गणपति बप्पा के मूर्तियों का निर्माण मूर्तिकारों ने शुरू कर दिया था.
लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं इको फ्रेंडली मूर्तियां
मूर्तिकारों ने अलग-अलग डिजाइन में विभिन्न अवतारों में गणपति की मूर्तियों को बनाया है, जो बाजारों में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. मूर्तिकार, गणेश सालूंखे कहते हैं कि इस बार उनकी बनाई मूर्तियों की अच्छी बिक्री हुई, जिससे उनकी आय में इस बार पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा इजाफा हुआ है. महाराष्ट्र के में गणपति उत्सव मनाए जाने का प्रचल काफी समय से है. महाराष्ट्र में सात वाहन वंश, राष्ट्रकूट वंश, चालुक्य वंश आदि राजाओं ने गणेशोत्सव को मनाने की परंपरा शुरू की. यह भी कहा जाता है कि शिवाजी महाराज के बचपन में उनकी माता जीजाबाई ने पुणे के ग्रामदेवता कसबा में गणपति की प्रतिमा को स्थापित किया था तभी से यह परंपरा चली आ रही है.