प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने विशेष पहनावे से एक बार फिर सभी का ध्यान आकर्षित किया. इस वर्ष पीएम मोदी ने सफेद कुर्ता-पायजामा के साथ गहरे भूरे रंग का बंद गले का कोट और लाल-पीले रंग का साफा पहना. इसके साथ ही उन्होंने विशेष अवसरों पर चमकीला और रंग-बिरंगा साफा पहनने की अपनी परंपरा को जारी रखा. इससे पहले उन्होंने 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर बहुरंगी ‘बांधनी’ प्रिंट का साफा पहना था.
बांधनी एक प्रकार का टाई-डाई कपड़ा होता है, जो गुजरात और राजस्थान में लोकप्रिय है. यह एक ऐसी विधि है, जिसमें कपड़े को बांधकर व गांठ लगाकर रंगाई की जाती है. जार्जेट, शिफान, रेशमी व सूती कपड़े को रंग के कुंड में डालने से पहले धागे से कसकर बांधा जाता है और जब इस धागे को खोला जाता है तो बंधा हुआ हिस्सा रंगीन हो जाता है. फिर हाथ से कपड़े पर धागे के प्रयोग से डिजाइन तैयार किया जाता है.
इससे पहले, वर्ष 2023 में पीएम मोदी ने कुर्ते और चूड़ीदार पायजामे के साथ बहुरंगी राजस्थानी साफा पहना था. इस साल 76वें स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने कई रंगों वाला राजस्थानी शैली का साफा चुना था, जिसका अंतिम छोर (छेला) कमर के नीचे तक लंबा था. प्रचंड बहुमत के साथ दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में लौटने के बाद 2019 में मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपना छठा स्वतंत्रता दिवस भाषण देते हुए बहुरंगी साफा पहना था. राजस्थानी साफा या पगड़ी स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के लिए प्रधानमंत्री की पसंद रहे हैं.
परेड के दौरान दिखा आत्मनिर्भर भारत का जोश
पीएम मोदी ने कर्तव्य पथ (राजपथ) पर परेड का नेतृत्व किया, जहां स्वदेशी रक्षा उपकरणों और महिला सशक्तिकरण की झलक ने सबका ध्यान खींचा. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी इस वर्ष के मुख्य अतिथि थे. प्रधानमंत्री के पहनावे ने परेड की भव्यता में एक खास आकर्षण जोड़ा. पीएम मोदी का गणतंत्र दिवस पर पहना गया पारंपरिक और रंग-बिरंगा परिधान इस बात का संदेश देता है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत हमारी सबसे बड़ी ताकत है.
उनका पहनावा हर भारतीय को अपने मूल्यों, परंपराओं और संस्कृति पर गर्व करने की प्रेरणा देता है. पीएम मोदी का गणतंत्र दिवस पर यह अनूठा पहनावा केवल उनके व्यक्तिगत स्टाइल का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, विविधता और एकता का संदेश भी देता है. उनके इस विशेष अंदाज ने न केवल देशवासियों का ध्यान खींचा, बल्कि भारत की समृद्ध परंपराओं को वैश्विक मंच पर भी प्रदर्शित किया.