PM Modi Assam Visit: आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम के दौरे पर हैं. यहां पर उन्होंने राज्य को 11,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का तोहफा दिया है. उन्होंने इन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. इसके बाद पीएम मोदी ने वहां पर जनसभा में पहुंचे लोगों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज मुझे एक बार फिर असम के विकास से जुड़ी योजनाएं आपको सौंपने का सौभाग्य मिला है. थोड़ी देर पहले यहां 11,000 की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है. ये सारी योजनाएं पूर्वोत्तर के साथ ही दक्षिण एशिया के दूसरे देशों के साथ इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी को और मजबूत करेंगे.
‘मां कामाख्या के द्वार पर आया हूं’
पीएम मोदी ने कहा कि बीते कुछ दिनों में मुझे देश के अनेक तीर्थों की यात्रा करने का अवसर मिला है. अयोध्या में भव्य आयोजन के बाद मैं अब यहां मां कामाख्या के द्वार पर आया हूं. आज मुझे यहां मां कामाख्या दिव्य लोक परियोजना का शिलान्यास करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
#WATCH | Assam: Prime Minister Narendra Modi inaugurates and lays the foundation stone of projects worth Rs 11,000 crore in Guwahati. pic.twitter.com/LYCiy0ZNMx
— ANI (@ANI) February 4, 2024
उन्होंने कहा कि असम में आस्था, अध्यात्म और इतिहास से जुड़े सभी स्थानों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है. विरासत को संजोने के इस अभियान के साथ ही विकास का अभियान भी तेजी से चल रहा है. बीते 10 वर्षों को देखें तो हमने देश में रिकॉर्ड संख्या में कॉलेज, युनिवर्सिटी बनाए हैं.
डबल इंजन की सरकार कर रही विकास
गुवाहाटी में पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आप भी जानते हैं कि 10 साल पहले असम समेत पूरे पूर्वोत्तर में क्या स्थिति थी. पूरे पूर्वोत्तर में रेल यात्रा और हवाई यात्रा बहुत ही सीमित थी. एक राज्य से दूसरे राज्य में आना-जाना तो छोड़िए, एक जिले से दूसरे जिले में आने-जाने में भी कई घंटे लग जाते थे. इन सारी परिस्थितियों को आज भाजपा की डबल इंजन सरकार ने, NDA की सरकार ने बदला है.
आगे उन्होंने कहा कि हमारे तीर्थ, हमारे मंदिर, हमारे आस्था के स्थान सिर्फ दर्शन करने के स्थल नहीं है, ये हज़ारों वर्षों की हमारी सभ्यता की यात्रा की निशानियां हैं. दुर्भाग्य से आजादी के बाद जिन्होंने लंबे समय तक देश में सरकारें चलाई वे भी आस्था के इन पवित्र स्थानों का महत्व समझ नहीं पाए. उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए अपनी ही संस्कृति, अतीत पर शर्मिंदा होने का एक ट्रेंड बना दिया था. कोई भी देश अपने अतीत को ऐसे भूलकर, अपनी जड़ो को काटकर विकसित नहीं हो सकता.
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