PM Modi Interview: लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दे पर PM मोदी ने खुलकर दिए जवाब, बोले- आएगा स्वर्णिम काल

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
चीन को पछाड़कर दुनिया में सर्वाधिक आबादी वाला देश बनने के एक साल बाद, भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था और राजनयिक, वैज्ञानिक एवं सैन्य सुधारों की धमक ने इसे अमेरिका और दुनिया के लिए लगातार बढ़ते महत्व वाली एक उभरती हुई महाशक्ति बना दिया है। यह देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में अब तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की ओर अग्रसर है, साथ ही विदेशी इन्‍वेस्‍टमेंट और स्‍टार्टअप्‍स से जुड़े उत्‍साहवर्द्धक आंकड़ों के जरिए भी झंड़े गाड़ रहा है।
नरेंद्र मोदी इन दिनों आगामी आम चुनावों में अपने दूरगामी विजन और डेवलपमेंट एजेंडे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। हाल ही में उन्‍होंने अपने आधिकारिक आवास पर न्यूज़वीक मैगजीन को एक इंटरव्‍यू दिया, जिसमें न्यूज़वीक के अध्यक्ष और सीईओ देव प्रगाड, ग्लोबल एडिटर इन चीफ नैन्सी कूपर और एशियाई मामलों के संपादकीय निदेशक दानिश मंज़ूर भट्ट के साथ 90 मिनट तक बातचीत की। इंटरव्‍यू के कवर किए गए विषयों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हुई प्रमुख आर्थिक प्रगति से लेकर बुनियादी ढांचे के विस्तार और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के बीच तनाव, चीन के साथ भारत के रिश्ते और कथित तौर पर प्रेस की स्वतंत्रता में कटौती करने और मुसलमानों को साथ नहीं लाने की आलोचना शामिल है, जो भारत की 1.4 अरब की आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी चुनाव के बारे में पूछे जाने पर कहा- “हमारे पास अपने वादों को पूरा करने का उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड है। यह सियासी लोगों के लिए बहुत बड़ी बात थी, क्योंकि वे ऐसे वादे करने के आदी थे जो कभी पूरे नहीं होते थे। हमारी सरकार ने “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” के आदर्श वाक्य के साथ काम किया है।” उन्‍होंने कहा कि लोगों को यह भरोसा है कि अगर हमारे काम-काज का लाभ किसी और को मिला है तो उन तक भी पहुंचेगा। लोगों ने देखा है कि भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अब देश की आकांक्षा है कि भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने।
भारत में अपनी सरकार के सत्‍ता में बने रहने का विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- दूसरे कार्यकाल के अंत तक सबसे लोकप्रिय सरकारें भी समर्थन खोने लगती हैं। विश्व में पिछले कुछ वर्षों में सरकारों के प्रति असंतोष भी बढ़ा है। मगर, भारत एक अपवाद के रूप में खड़ा है, जहां हमारी सरकार के लिए लोकप्रिय समर्थन बढ़ रहा है। हमारे भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की हमारी प्रतिबद्धता के बीच कोई विरोधाभास नहीं है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता पर कहा- हम एक लोकतंत्र हैं, केवल इसलिए नहीं कि हमारा संविधान ऐसा कहता है, बल्कि इसलिए भी कि यह हमारे जीन में है। उन्होंने कहा- “भारत लोकतंत्र की जननी है। चाहे वह तमिलनाडु का उत्तरामेरूर हो, जहां आप 1100 से 1200 साल पहले के भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में शिलालेख पा सकते हैं, या हमारे धर्मग्रंथों के बारे में बात कर सकते हैं जो व्यापक-आधारित सलाहकार निकायों द्वारा राजनीतिक शक्ति का प्रयोग करने का उदाहरण देते हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, 2019 के आम चुनावों में 60 करोड़ से अधिक लोगों ने मतदान किया। अब से कुछ महीनों में, 97 करोड़ से अधिक पात्र मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसके लिए पूरे भारत में दस लाख से अधिक मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।”
उन्‍होंने कहा- “मतदाताओं की लगातार बढ़ती भागीदारी भारतीय लोकतंत्र के प्रति लोगों की आस्था का बहुत बड़ा प्रमाण पत्र है। भारत जैसा लोकतंत्र केवल इसलिए आगे बढ़ने और कार्य करने में सक्षम है क्योंकि वहां एक जीवंत फीडबैक तंत्र है। और हमारा मीडिया इस संबंध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमारे पास लगभग 1.5 लाख पंजीकृत मीडिया प्रकाशन और सैकड़ों समाचार चैनल हैं।” PM ने कहा कि भारत और पश्चिम देशों में कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने भारत के लोगों के साथ अपनी विचार प्रक्रियाओं, भावनाओं और आकांक्षाओं को खो दिया है। ये लोग वैकल्पिक वास्तविकताओं के अपने प्रतिध्वनि कक्ष में भी रहते हैं। वे मीडिया की स्वतंत्रता कम होने के संदिग्ध दावों के साथ लोगों के साथ अपनी असंगति जोड़ते हैं।
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