Rajnath Singh: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीन उन्नत युद्धपोतों – आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर के कमीशनिंग पर बोलते हुए हिंद महासागर क्षेत्र के बढ़ते रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि इन तीनो युद्धपोतों का एक साथ चालू होना न सिर्फ भारतीय नौसेना के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण शक्ति का प्रदर्शन भी है.
वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने और क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत का ध्यान अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और 2025 के अंत तक प्रमुख सुधारों को लागू करने पर है. भारत की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना प्रधानमंत्री की प्राथमिकता रही है और हमारे रक्षा क्षेत्र का लगातार मजबूत होना इसका प्रमाण है.
हिंद महासागर भारत लिए लिए काफी महत्वपूर्ण
उन्होंने यह भी कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र हमेशा से देश के लिए रणनीतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन आज के तेजी से बदलते परिवेश में यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है. ऐसे में हम कह सकते है कि जो महत्व अटलांटिक महासागर का था वह अब हिंद महासागर में स्थानांतरित हो गया है. वैश्विक व्यापार और वाणिज्य का एक बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है.
इस क्षेत्र से जुड़ा है भारत का 95 प्रतिशत व्यापार
रक्षामंत्री ने कहा कि भू-रणनीतिक वजहों से यह क्षेत्र तेजी से अंतर्राष्ट्रीय शक्ति प्रतिद्वंद्विता का स्वाभाविक हिस्सा बनता जा रहा है. इस दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के भू-रणनीतिक और आर्थिक हित लंबे समय से चले आ रहे हैं. चाहे वह 2,000 साल पहले रोम के साथ व्यापार हो या दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार, आज भारत का 95 प्रतिशत व्यापार इस क्षेत्र से जुड़ा है.
ऐसे परिदृश्य में, हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की मजबूत उपस्थिति हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बन जाती है. बता दें कि आज चालू होने वाले आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरि की 75 प्रतिशत से अधिक सामग्री भारत में विकसित की गई है.
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