Ram Mandir Ayodhya: श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के पहले चरण का कार्य लगभग समाप्त हो चुका है. अब इसे सजाने का कार्य तेजी से चल रहा है. 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है. यानी इस दिन भगवान राम अपने भव्य राम मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. काशी के ज्योतिष की मानें तो जिस शुभ मुहूर्त में रामलला मंदिर में विराजमान होंगे वह दुर्लभ मुहूर्तों में से एक है. आइए जानते हैं किस मुहूर्त में होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और इसका असर हमारे देश भारत पर कैसा होगा….
इस शुभ मुहूर्त में होगी प्राण प्रतिष्ठा
दरअसल, 15 दिसंबर 2023 से खरमास का महीना शुरू हो गया है. जिसका समापन 15 जनवरी 2024 को होगा. इस दौरान सभी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है. वहीं. खरमास समाप्त होने के तुरंत बाद 17 जनवरी 2024 से प्राण प्रतिष्ठा के पूजन पाठ, अनुष्ठान आदि शुरू हो जाएंगे. 17 जनवरी से 22 जनवरी 2024 तक अलग-अलग दिन सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल और ब्रह्म योग जैसे 6 शुभ योग बनेंगे. यह योग धार्मिक पूजा पाठ के लिए बहुत शुभ माना जाता है. भगवान श्री रामलला सरकार की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024, सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त मृगषिरा नक्षत्र में दोपहर 12:20 बजे होगी.
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जानिए इस शुभ मुहूर्त धार्मिक महत्व
वैदिक हिंदू पंचांग के अनुसार, 22 जनवरी 2024, सोमवार के दिन पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है. इस द्वादशी को कूर्म द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि, इसी तिथि को भगवान श्रीहरि विष्णु ने कूर्म यानि कछुआ का अवतार लिया था और समुद्र मंथन में सहायता की थी. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार लेकर अपनी पीठ पर मंदार पर्वत को रखा था. इसके बाद ही समुद्र मंथन किया गया था. इसलिए भगवान विष्णु के कच्छप रूप को स्थायित्व का प्रतीक माना गया है. 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अभिजीत मुहूर्त मृगषिरा नक्षत्र में दोपहर 12:20 बजे होगा. काशी के ज्योतिष की मानें तो इस तिथि पर अभिजीत और मृगषिरा नक्षत्र जैसे दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो कि बहुत ही शुभ होता है.
इस शुभ मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा का भारत पर कैसा होगा असर?
22 जनवरी 2024, सोमवार को पौष मास के शुक्ल पक्ष की कूर्म द्वादशी पर मृगशीर्ष नक्षत्र में रामलला की स्थापना करना बेहद शुभ रहेगा. खास बात यह है कि इस दिन इस मुहूर्त का लग्न भी सभी प्रकार के दोषों से रहित है और इसमें बान भी नहीं मिल रहे हैं. बान से मतलब अवरोधों से है. शास्त्रों में पांच तरह के बान यानी अवरोधों का उल्लेख है जिसमें रोग, अग्नि, राज, चोर और मृत्यु हैं. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त में एक भी बान नहीं है. वहीं, ज्योतिष में मृगशीर्ष नक्षत्र को कृषि कार्य, व्यापार, विदेश यात्रा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है. भारत कृषि प्रधान देश है. ऐसे में ज्योतिष की मानें तो मृगशीर्ष नक्षत्र में रामलला की स्थापना करने से कहीं न कहीं राष्ट्र की उत्तरोत्तर प्रगति होगी. इसका असर भारत पर सदियों तक देखने को मिलेगा.