रतन टाटा का 86वां जन्मदिन आज, फोर्ड के मालिक से अपने अंदाज में लिया था बदला, जानिए बदले की दिलचस्प कहानी

Raginee Rai
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Ratan Tata Birthday: रतन टाटा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वो केवल देश में ही नहीं विदेशों में भी काफी मशहूर है. दिग्‍गज उद्योगपति और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata Birthday) का आज 86वां जन्‍मदिन है. इनका जन्‍म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में नवल टाटा और सूनी टाटा के घर हुआ था. 25 साल की उम्र में उन्होंने टाटा ग्रुप में अपने करियर की शुरुआत की.

विश्‍वविख्‍यात बिजनेस मैन के अलावा रतन टाटा एक मोटिवेशनल स्पीकर भी रहे हैं. एक तरफ जहां भारतीय उद्योगपति रतन टाटा लोगों के लिए प्रेरणा हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उनके जीवन से जुड़े कई दिलचस्‍प किस्‍से भी हैं. उनके जन्मदिन के अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनके बदले से जुड़ी दिलचस्प कहानी. वैसे तो रतन टाटा काफी शांत स्वभाव के हैं लेकिन फोर्ड कंपनी के मालिक से बदला लेने की ये कहानी काफी फेमस है.

फोर्ड कंपनी के चेयरमैन के साथ बातचीत

ये बात 90 के दशक की है, जब टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपनी कार टाटा इंडिका को लॉन्च किया था. लेकिन, उस समय कारों की सेल उम्‍मीद के हिसाब से नहीं हो रही थी. टाटा इंडिका को खराब रिस्‍पांस मिलने और लगातार घाटे के कारण टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिविजन को बेचने का फैसला किया. इसके लिए रतन टाटा ने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) के चेयरमैन बिल फोर्ड से बात की.

बिल फोर्ड ने किया रतन टाटा का किया अपमान

जब रतन टाटा ने फोर्ड मोटर्स के मालिक बिल फोर्ड से बात कि तो बिल ने रतन टाटा का मजाक उड़ाया.  कहा था कि अगर आपको जानकारी नहीं है, तो फिर आपने पैसेंजर कार डिवीजन की शुरुआत ही क्यों की? बिल फोर्ड यहीं नहीं रुके और उन्होंने आगे कहा कि अगर मैं इस बिजनेस को खरीदता हूं तो ये आपके ऊपर एक बड़ा अहसान होगा. फोर्ड चेयरमैन के ये बातें रतन टाटा के मन में घर कर गई. लेकिन उन्‍होंने इसे जाहिर नहीं किया. उसके बाद उन्होंने पैंसेजर कार डिवीजन बेचने का अपना फैसला बदल दिया.

रतन टाटा ने नौ साल बाद ऐसे लिया बदला

बिल फोर्ड के साथ डील कैंसिल करने के बाद रतन टाटा भारत आ गए. रतन टाटा भारत में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में क्रांति लाने के लक्ष्य को पूरा करने में लग गए. उन्होंने दुनिया को दिखाया कि असफलता ही सफलता की सीढ़ी होती है. टाटा मोटर्स के कार डिवीजन पर ध्यान देते हुए उसे बुलंदियों पर पहुंचा दिया. फोर्ड के मालिक से हुई बातचीत के करीब नौ साल बाद टाटा मोटर्स की कारें पूरी दुनिया में छा गई थी.

कंपनी की कारें दुनिया की सबसे अच्‍छी सेलिंग कैटेगरी में शामिल थी.  वहीं दूसरी तरफ, फोर्ड कंपनी की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी. डूबती फोर्ड कंपनी को उबारने का जिम्मा टाटा ने लिया और साथ में उन्होंने नौ साल पहले हुए अपने अपमान का बदला भी ले लिया. इस दौरान उन्‍होंने फोर्ड के जैगुआर (Jaguar) और लैंड रोवर (Land Rover) ब्रांड को खरीदने की पेशकश कर डाली. इसके लिए वे अमेरिका नहीं गए बल्कि फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड को डील के लिए भारत बुलाया.

फोर्ड चेयरमैन ने की टाटा की तारीफ 

बिना कुछ कहे अपने अपमान का बदला लेने के लिए रतन टाटा ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी, जिससे बिल फोर्ड को अपना सुर बदलना पड़ा. मुंबई में रतन टाटा के ऑफर को स्‍वीकारते हुए बिल फोर्ड ने वही बातें अपने लिए कहीं जो कभी उन्होंने रतन टाटा का अपमान करते हुए कही थी. उस दौरान उन्होंने रतन टाटा को धन्यवाद करते हुए कहा कि आप जैगुआर और लैंड रोवर सीरीज को खरीदकर हम पर बड़ा उपकार कर रहे हैं.

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