बारां नगरः अगर सुरक्षित रहना है तो भाषा, जाति और प्रांत के मतभेदों और विवादों को खत्म कर एकजुट होना होगा. यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज को खास संदेश देते हुए बारां नगर में कृषि उपज मंडी में आरएसएस के स्वयंसेवकों की एक सभा को संबोधित करते हुए कही.
लक्ष्य-उन्मुख होने का गुण होना आवश्यक है
भागवत ने कहा कि समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्य-उन्मुख होने का गुण होना आवश्यक है. इसी के साथ हमें एकजुट होना होगा, तभी हम सुरक्षित रह सकते हैं. मोहन भागवत ने आगे कहा कि अपनी सुरक्षा के लिए हिंदू समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेदों और विवादों को समाप्त कर एकजुट होना होगा.
उन्होंने कहा कि समाज ऐसा होना चाहिए, जिसमें संगठन, सद्भावना और आत्मीयता का प्रचलन हो. समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्योन्मुख होने का गुण आवश्यक है. समाज केवल मेरे और मेरे परिवार से नहीं बनता, बल्कि हमें समाज की सर्वांगीण चिंता करके अपने जीवन में ईश्वर को प्राप्त करना है.
मोहन भागवत ने कहा कि भारत एक ‘हिंदू राष्ट्र’ है और हिंदू शब्द का प्रयोग देश में रहने वाले लोगों के ‘सभी संप्रदायों’ के लिए किया जाता है. उन्होंन कहा कि हम यहां प्राचीन काल से रह रहे हैं, हालांकि हिंदू नाम बाद में आया. यहां रहने वाले भारत के सभी संप्रदायों के लिए हिंदू शब्द का प्रयोग किया जाता था.
आरएसएस के काम की तुलना नहीं हो सकती
हिंदू सभी को अपना मानते हैं और सभी को स्वीकार करते हैं. हिंदू कहता है कि हम सही हैं और आप भी अपनी जगह सही हैं. भागवत ने कहा कि आरएसएस का काम यांत्रिक नहीं, बल्कि विचार आधारित है और दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है, जिसकी तुलना आरएसएस द्वारा किए गए काम से की जा सके.